जब से अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी भारत आए हैं, तभी से ही पाकिस्तान हैरान-परेशान नजर आ रहा है। पाकिस्तान को इस बात की मिर्ची लगी है और भारत-अफगान दोस्ती उसे हजम नहीं हो रही है। जैसे ही मुत्ताकी भारत आए पाकिस्तान ने काबुल पर हमला कर दिया। अब अफगानिस्तान वो देश नहीं रहा जो एक वक्त पर पाकिस्तान की बातें माना करता था। अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया। पाकिस्तान अपने सहयोगी देशों के सामने मदद की गुहार लगा रहा है। अफगानिस्तान ने घर में घुसकर पाकिस्तान की सेना को मारा है। अफगानी लड़ाकों ने पाकिस्तान की कई चौकियों पर कब्जा कर लिया है।
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पाकिस्तान के 58 सैनिकों को मारने का दावा करने वाले तालिबान ने अपने जिन आठ इलाकों से पाकिस्तान पर हमला किया था, उनमें से एक ने तो पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। अफगानिस्तान ने अपने इस एक इलाके से भयंकर तरीके से तबाही मचाई है। अफगान और पाकिस्तान के बॉर्डर पर तालिबान का पख्तीका प्रांत है। पाकिस्तान भी आज तक न तो अफगानिस्तान के इस रणनीतिक इलाके में घुस पाया है और न ही तोड़ निकाल पाया है। ये प्रांत पाकिस्तान के तीन अलग अलग जिलों से बॉर्डर शेयर करता है और यही पाकिस्तान के खिलाफ अफगानिस्तान की सबसे बड़ी ताकत भी है।
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पाकिस्तान अफगान के बीच नया संघर्ष शनिवार को स्थानीय समयानुसार रात लगभग 10 बजे शुरू हुआ जब अफ़ग़ानिस्तान के तालिबान बलों ने अपनी साझा सीमा पर पाकिस्तानी सैनिकों पर हमले शुरू कर दिए। इसे उन्होंने गुरुवार को “काबुल पर पाकिस्तानी सेना द्वारा किए गए हवाई हमलों का बदला” बताया। इस्लामाबाद ने सीधे तौर पर इन हमलों की ज़िम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन उसने बार-बार बढ़ते आतंकवाद से अपनी रक्षा करने के अपने अधिकार की बात कही है, जिसके बारे में उसका कहना है कि इसकी योजना अफ़ग़ान धरती से बनाई जा रही है।
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पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच हिंसा भड़कने से क्षेत्र में चिंता बढ़ गई है। सऊदी अरब, कतर और ईरान जैसे कई अन्य देशों ने संयम बरतने का आह्वान किया है। सऊदी अरब पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जिसने हाल ही में पाकिस्तान के साथ नाटो जैसा एक समझौता किया है, जिसके अनुसार किसी एक देश पर हमला दोनों देशों पर हमला माना जाएगा। हालाँकि, ऐसा लगता है कि इस समझौते पर अभी तक अमल नहीं हुआ है। सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने कहा राज्य संयम बरतने, तनाव बढ़ाने से बचने और क्षेत्र में तनाव कम करने तथा सुरक्षा एवं स्थिरता बनाए रखने में योगदान देने के लिए बातचीत और समझदारी अपनाने का आह्वान करता है।