Saturday, July 12, 2025
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लंदन उच्च न्यायालय ने भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ संजय भंडारी की अपील स्वीकार की

लंदन उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को संजय भंडारी की भारत प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील मंजूर कर ली। रक्षा क्षेत्र के सलाहकार भंडारी पर कथित कर चोरी और धनशोधन के आरोप हैं।

लॉर्ड न्यायमूर्ति टिमोथी होलोयडे और न्यायमूर्ति करेन स्टेन ने पिछले साल दिसंबर में सुनवाई के बाद मानवाधिकार के आधार पर 62 वर्षीय व्यवसायी की अपील को स्वीकार करते हुए अपना फैसला सुनाया।

अदालत ने अब नवंबर 2022 में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट के फैसले के आधार पर भारत में आपराधिक कार्यवाही का सामना करने के लिए तत्कालीन ब्रिटिश गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन के प्रत्यर्पण आदेश से उन्हें ‘‘मुक्त’’ करने का आदेश दे दिया है।

फैसले में कहा गया, ‘‘उपलब्ध कराए गए सभी साक्ष्यों और सूचनाओं को ध्यान में रखते हुए, जिसमें नए साक्ष्य भी शामिल हैं, हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि तिहाड़ जेल में अपीलकर्ता (भंडारी) को अन्य कैदियों और/या जेल अधिकारियों से धमकी या वास्तविक हिंसा के साथ जबरन वसूली का वास्तविक खतरा होगा।’’

अपील इस आधार पर स्वीकार की गई कि भंडारी का प्रत्यर्पण यूरोपीय मानवाधिकार संधि (ईसीएचआर) के अनुच्छेद 3 के तहत उसके अधिकारों के अनुरूप नहीं होगा, जो कि प्रत्यर्पित किए जाने पर दिल्ली की तिहाड़ जेल में उसे कैद रखने और जेल में पुलिस तथा अन्य जांच निकायों द्वारा उसके साथ किए जाने वाले व्यवहार के संबंध में भारत सरकार द्वारा दिए गए आश्वासन पर आधारित है।

फैसले में कहा गया, ‘‘उनके खिलाफ आरोपों की प्रकृति और भारत में उनके संबंध में प्रचार इस तरह का है कि उन्हें (कम से कम) एक बहुत अमीर व्यक्ति माना जाएगा और इसलिए जबरन वसूली के लिए प्रमुख लक्ष्य होंगे। जेल संख्या 3 तिहाड़ जेल में अत्यधिक भीड़भाड़ और बहुत कम कर्मचारियों के मद्देनजर, सबसे ईमानदार जेल अधिकारियों के लिए भी अपीलकर्ता को गिरोह के सदस्यों सहित अन्य कैदियों के हाथों जबरन वसूली और दुर्व्यवहार से बचाना बहुत मुश्किल होगा।’’


इसमें कहा गया कि भारत सरकार द्वारा दिए गए ‘‘आश्वासनों’’ से ‘‘वास्तविक जोखिम’’ दूर नहीं होता।
भंडारी के खिलाफ दो प्रत्यर्पण अनुरोध किए गए थे। पहला जून 2020 में भारत के धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के तहत धन शोधन के आरोप के संबंध में है जबकि दूसरा जून 2021 में भारत के काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) एवं कर अधिरोपण अधिनियम 2015 के तहत लगाए जाने वाले आरोपों को लेकर है।

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