दिल्ली की एक अदालत ने लाल किला विस्फोट मामले के मुख्य आरोपी जसीर बिलाल वानी की राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) की हिरासत सात दिनों के लिए बढ़ा दी। वानी को अदालत में पेश किया गया क्योंकि प्रधान सत्र एवं जिला न्यायाधीश अंजू बजाज चांदना द्वारा 27 नवंबर को दी गई उसकी सात दिन की रिमांड आज समाप्त हो गई। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के काजीगुंड निवासी वानी को एनआईए ने 17 नवंबर को श्रीनगर में गिरफ्तार किया था। उस पर 10 नवंबर को दिल्ली में लाल किले के पास हुए घातक कार विस्फोट से पहले ड्रोन में बदलाव करके हमले करने और रॉकेट बनाने की कोशिश करने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करने का आरोप है। इस विस्फोट में 13 लोग मारे गए थे।
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एनआईए ने 7 लोगों को किया गिरफ्तार
एनआईए ने लाल किला विस्फोट मामले में अब तक सात प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इस मामले में कथित आत्मघाती हमलावर उमर उन नबी ने एक हुंडई i20 कार के अंदर एक इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) का इस्तेमाल करके खुद को उड़ा लिया था। यह मामला एक सफेदपोश आतंकी मॉड्यूल से जुड़ा है जिसका जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पर्दाफाश किया था। उमर जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले का निवासी था और हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय के जनरल मेडिसिन विभाग में सहायक प्रोफेसर के रूप में कार्यरत था। एनआईए ने उमर से संबंधित एक अन्य वाहन भी जब्त किया है जिसकी मामले में साक्ष्य के लिए जांच की जा रही है। एनआईए ने अब तक विस्फोट में घायल हुए लोगों सहित 73 गवाहों से पूछताछ की है।
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दिल्ली कार विस्फोट
10 नवंबर को लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास एक धीमी गति से चल रही कार में एक उच्च-तीव्रता वाला विस्फोट हुआ, जिसमें कम से कम 15 लोग मारे गए, 20 से ज़्यादा घायल हुए और कई वाहन जलकर खाक हो गए। विस्फोट के बाद आग लग गई जो तेज़ी से आस-पास की कारों तक फैल गई। यह घटना स्टेशन के गेट नंबर 1 के पास हुई। इस बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्रीय कैबिनेट ने लाल किले के पास हुए कार विस्फोट को एक “आतंकवादी घटना” करार दिया है और जानमाल के नुकसान पर दुख व्यक्त किया है। साथ ही, निर्देश दिया है कि दोषियों, सहयोगियों और उनके प्रायोजकों को जल्द से जल्द न्याय के कटघरे में लाने के लिए जाँच को पूरी तत्परता से आगे बढ़ाया जाए। सरकार ने जाँच एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे इस मामले को “अत्यंत तत्परता और पेशेवर तरीके” से निपटाएँ ताकि दोषियों और उनके प्रायोजकों को बिना किसी देरी के न्याय के कटघरे में लाया जा सके।

