Friday, October 17, 2025
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लेह हिंसा के बाद एक्शन मोड में केंद्र सरकार, सोनम वांगचुक की संस्था का विदेशी फंडिग वाला लाइसेंस कैंसिल, CBI की टीम भी जांच में जुटी

केंद्र सरकार ने गुरुवार को सोनम वांगचुक के गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (SECMOL) का एफसीआरए लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया। यह फैसला लद्दाख में हुई हिंसा के बाद लिया गया है जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। गृह मंत्रालय (एमएचए) ने अपने आदेश में कहा कि लद्दाख के कार्यकर्ता के गैर-लाभकारी संगठन ने विदेशी चंदा नियमों का ‘बार-बार’ उल्लंघन किया है। गृह मंत्रालय ने कहा कि वांगचुक के व्यक्तिगत और संयुक्त खातों में धन प्राप्त हुआ, जो एफसीआरए 2010 का सीधा उल्लंघन है। इसमें आगे कहा गया है कि उनके एनजीओ को 2021 और 2024 के बीच विदेशों से करोड़ों रुपये मिले, जिससे संभावित मनी लॉन्ड्रिंग की चिंता बढ़ गई, क्योंकि ये बाहरी विदेशी धन अज्ञात संस्थाओं को भेजे गए थे।

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गृह मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा कि सोनम वांगचुक खुद को जनता के प्रतिनिधि के रूप में पेश कर रहे हैं, लेकिन वित्तीय कदाचार का उनका रिकॉर्ड कुछ और ही बताता है। उनके कार्यों से रचनात्मक संवाद पटरी से उतरने और वास्तविक चिंताओं को निजी और राजनीतिक लाभ के औजार में बदलने का खतरा है। अपने आदेश में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि 59 वर्षीय वांगचुक के नौ निजी बैंक खाते हैं, लेकिन उनमें से आठ की घोषणा नहीं की गई है। मंत्रालय ने कहा कि इन आठ खातों में से कई में भारी मात्रा में विदेशी धन जमा है। साथ ही, वांगचुक ने 2021 से 2024 के बीच अपने निजी खाते से लगभग 2.3 करोड़ रुपये विदेश भेजे।

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मंत्रालय ने कहा कि वांगचुक को 2018 से 2024 के बीच विभिन्न खातों में 1.68 करोड़ रुपये का विदेशी धन भी प्राप्त हुआ। वह कॉर्पोरेट क्षेत्र की आलोचना तो करते हैं, लेकिन केंद्र सरकार के सार्वजनिक उपक्रमों सहित विभिन्न कॉर्पोरेट संस्थाओं से कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) के तहत भारी धनराशि लेते हैं। लद्दाख में भड़की हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई और 40 पुलिसकर्मियों समेत 80 अन्य घायल हो गए। प्रदर्शनकारी लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची के विस्तार की मांग कर रहे थे, जो शासन, राष्ट्रपति और राज्यपाल की शक्तियों, स्थानीय निकायों के प्रकार, वैकल्पिक न्यायिक तंत्र और स्वायत्त परिषदों के माध्यम से वित्तीय शक्तियों के संदर्भ में आदिवासी आबादी के लिए विशेष प्रावधान करती है।
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