उच्चतम न्यायालय ने राजधानी के डिफेंस कॉलोनी इलाके में लोधीकालीन स्मारक शेख अली की गुमटी के परिसर स्थित पार्क का इस्तेमाल बैडमिंटन या बास्केटबॉल कोर्ट के निर्माण के लिए नहीं करने का आदेश दिया है।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले दिल्ली सरकार को शेख अली की गुमटी को कानून के तहत संरक्षित स्मारक घोषित करने के लिए एक नयी अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया था।
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने अधिकारियों को क्षेत्र में कियोस्क या दुकानों सहित किसी भी व्यावसायिक गतिविधि पर रोक का निर्देश दिया है।
शीर्ष अदालत को यह भी आश्वासन दिया गया कि चार हिस्से वाले इस पार्क का रखरखाव और सौंदर्यीकरण किया जाएगा, ताकि इसकी प्राकृतिक सुंदरता बरकरार रहे और इसका इस्तेमाल आम जनता के लाभ के लिए किया जा सके।
पीठ ने 31 जुलाई के आदेश में कहा, ‘‘यहां केवल यही निर्देश दिए जाने की जरूरत है कि इसका इस्तेमाल किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया जाना चाहिए तथा क्षेत्र की सीमाओं को देखते हुए बैडमिंटन कोर्ट, बास्केटबॉल कोर्ट के निर्माण जैसी कोई गतिविधि नहीं की जानी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने न्यायालय आयुक्त को पार्क के रखरखाव और सौंदर्यीकरण के लिए बागवानी विभाग सहित संबंधित विभागों के साथ समन्वय करने का निर्देश दिया।
मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त के लिए निर्धारित की गई है।
स्मारक को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब शीर्ष अदालत ने ‘डिफेंस कॉलोनी रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन’ को इसके ढांचे को खाली करने और 1960 के दशक से इस ऐतिहासिक स्थल पर कब्जे के लिए मुआवजे के रूप में दिल्ली सरकार के पुरातत्व विभाग को 40 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया।
उच्चतम न्यायालय डिफेंस कॉलोनी निवासी राजीव सूरी की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें गुमटी को प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत संरक्षित स्मारक घोषित करने का अनुरोध किया गया।