Saturday, December 27, 2025
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विद्या भारती उत्तर क्षेत्र द्वारा एकदिवसीय शैक्षिक संगोष्ठी का सफल आयोजन

नई दिल्ली। विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान भारत का सबसे बड़ा अशासकीय (गैर-सरकारी) शिक्षा संगठन है, जिसका उद्देश्य भारतीय मूल्यों और संस्कृति के अनुरूप राष्ट्र निर्माण के लिए युवाओं को शिक्षित करना है। विद्या भारती प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक विभिन्न स्तरों पर 13,000 से अधिक औपचारिक एवं 10,000 से अधिक अनौपचारिक शिक्षण संस्थान संचालित करती है, जिनमें 30 लाख से अधिक छात्र संस्कारयुक्त शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
इसी क्रम में विद्या भारती उत्तर क्षेत्र द्वारा एकदिवसीय शैक्षिक संगोष्ठी का आयोजन युगाब्द 5127, विक्रम संवत 2082, आश्विन कृष्ण अमावस्या, दिनांक 21 सितम्बर 2025, रविवार को तेरापंथ भवन, छत्तरपुर, नई दिल्ली में किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं वंदना से हुआ। इस अवसर पर पूज्या साध्वी डॉ. अमृता दीदी जी एवं डॉ. कुंदन रेखा जी का सान्निध्य प्राप्त हुआ। संगोष्ठी में विद्या भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री डी. रामकृष्ण राव, सह संगठन मंत्री श्रीराम जी आरावकर, महामंत्री श्री देशराज शर्मा, उत्तर क्षेत्र के अध्यक्ष श्री सुखराज सेठिया, संगठन मंत्री श्री विजय नड्डा, महामंत्री श्री दिलाराम चौहान, दिल्ली प्रांत के महामंत्री डॉ. सतीश महेश्वरी तथा नेपाल के पूर्व राष्ट्रपति श्री राम बरन यादव सहित अनेक विशिष्ट अतिथि एवं विद्वान उपस्थित रहे।
सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत एवं परिचय उत्तर क्षेत्र के महामंत्री श्री दिलाराम चौहान ने कराया।
श्री डी. रामकृष्ण राव ने संगोष्ठी के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सभी संस्थानों का दायित्व है कि वे मिलकर नई शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन में सहयोग करें और भारत-केंद्रित शिक्षा के माध्यम से देश को नई दिशा प्रदान करें। पूज्या साध्वी अमृता दीदी एवं डॉ. कुंदन रेखा जी ने अपने आशीर्वचन में भारतीय संस्कृति के जागरण तथा सनातन परंपराओं के बोध हेतु प्रेरित किया।
नेपाल के पूर्व राष्ट्रपति श्री राम बरन यादव ने अपने संबोधन में प्राचीन भारतीय गुरुकुल शिक्षा पद्धति की उपयोगिता और वर्तमान समय में उसकी प्रासंगिकता पर विचार प्रस्तुत किए। श्री देशराज शर्मा ने शिक्षा प्रणाली में सुधार हेतु आचार्यों के प्रशिक्षण पर विशेष बल दिया। चिन्मय मिशन की अम्मा जी ने वैदिक संस्कृति को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
संगोष्ठी में विभिन्न प्रांतों से आए 32 शिक्षण संस्थानों के लगभग 60 शिक्षाविद् एवं विद्वतजन शामिल हुए और “ॐ ध्वनि” के माध्यम से परस्पर सहयोग की भावना व्यक्त करते हुए भारत को विश्वगुरु बनाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम का समापन शांति मंत्र के साथ हुआ। समस्त व्यवस्थाएँ विद्या भारती दिल्ली प्रांत की टोली द्वारा संचालित की गईं। कार्यक्रम की सफलता हेतु महामंत्री डॉ. सतीश महेश्वरी ने सभी कार्यकर्ताओं को साधुवाद ज्ञापित किया।
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