शांतनु नायडू, जो टाटा ग्रुप के दिग्गज और पूर्व चेयरमैन रतन टाटा के करीबी दोस्त और सहयोगी रहे हैं, को अब टाटा मोटर्स में एक बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। नायडू अब कंपनी में जनरल मैनेजर और स्ट्रैटेजिक इनीशिएटिव्स हेड के पद पर काम करेंगे। उन्होंने लिंक्डइन पोस्ट के जरिए इस बात की जानकारी साझा की।
लिंक्डइन पोस्ट में क्या लिखा?
नायडू ने अपनी पोस्ट में लिखा,
“मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि मैं अब टाटा मोटर्स में जनरल मैनेजर, हेड – स्ट्रैटेजिक इनीशिएटिव्स के रूप में नई भूमिका निभा रहा हूं। मुझे याद है, जब मेरे पिता टाटा मोटर्स प्लांट से सफेद शर्ट और नेवी ब्लू पैंट पहनकर घर आते थे और मैं खिड़की पर उनका इंतजार करता था…आज उसी जगह पर मेरी अपनी यात्रा शुरू हो रही है।”
रतन टाटा और शांतनु नायडू की दोस्ती कैसे शुरू हुई?
शांतनु नायडू ने टाटा ग्रुप में एक इंजीनियरिंग इंटर्न के रूप में अपनी यात्रा शुरू की। लेकिन उनकी और रतन टाटा की दोस्ती जानवरों के प्रति उनके साझा प्रेम से गहरी हुई।
सब कुछ बदलने वाला वह पल
- 2014 में, पुणे में काम करते हुए, नायडू ने देखा कि एक आवारा कुत्ता सड़क पर दुर्घटना का शिकार हो गया।
- इससे उन्हें प्रेरणा मिली और उन्होंने रात में गाड़ियों की रोशनी में चमकने वाले (रिफ्लेक्टिव) डॉग कॉलर बनाने की पहल की।
- इस इनोवेशन का उद्देश्य आवारा कुत्तों को रात में गाड़ियों की चपेट में आने से बचाना था।
इस छोटी सी पहल ने नायडू की जिंदगी बदल दी और उन्हें रतन टाटा के करीब पहुंचा दिया।
कैसे मिला रतन टाटा का साथ?
एक खत जिसने बदल दी जिंदगी
- जब नायडू को अपने डॉग कॉलर इनोवेशन के लिए फंडिंग की दिक्कतों का सामना करना पड़ा, तो उन्होंने रतन टाटा को एक पत्र लिखा।
- दो महीने बाद, उन्हें रतन टाटा की ओर से जवाब मिला और मुंबई स्थित टाटा ऑफिस में मिलने के लिए बुलाया गया।
- इस मुलाकात ने एक गहरी और स्थायी दोस्ती की नींव रखी।
रतन टाटा ने दिया मोटोपॉज (Motopaws) को सपोर्ट
- रतन टाटा नायडू के इनोवेशन और जानवरों के प्रति उनके समर्पण से बेहद प्रभावित हुए।
- उन्होंने शांतनु के स्टार्टअप ‘मोटोपॉज’ (Motopaws) में इनवेस्ट किया, जो जानवरों के लिए विशेष सुरक्षा उपाय करता है।
यहीं से उनकी दोस्ती और पेशेवर संबंधों की शुरुआत हुई।
शांतनु नायडू का करियर सफर: इंजीनियर से टाटा मोटर्स के टॉप मैनेजर तक
- नायडू ने सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी से 2014 में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।
- 2016 में, उन्होंने कॉर्नेल जॉनसन ग्रेजुएट स्कूल ऑफ मैनेजमेंट (अमेरिका) से MBA किया।
- पढ़ाई के दौरान भी वह रतन टाटा के संपर्क में बने रहे और उनके साथ काम करते रहे।
- 2018 में, वह रतन टाटा के असिस्टेंट बन गए।
गुडफेलोज (Goodfellows): बुजुर्गों के लिए नायडू की एक और शानदार पहल
- 2022 में, नायडू ने Goodfellows नामक स्टार्टअप लॉन्च किया।
- यह स्टार्टअप सीनियर सिटीजन्स को युवा ग्रेजुएट्स के साथ जोड़ने के लिए बनाया गया, ताकि वे अकेलेपन से बच सकें।
- रतन टाटा ने इस स्टार्टअप में इनवेस्ट किया और इसे सपोर्ट किया।
- रिपोर्ट्स के मुताबिक, रतन टाटा ने अपनी वसीयत में गुडफेलोज की कुछ हिस्सेदारी शांतनु नायडू के नाम कर दी।
रतन टाटा के निधन पर नायडू ने दी थी भावुक श्रद्धांजलि
9 अक्टूबर 2024 को 86 साल की उम्र में रतन टाटा का निधन हो गया।
अपने दोस्त और गुरु को याद करते हुए, शांतनु नायडू ने लिंक्डइन पर एक इमोशनल पोस्ट लिखा:
“इस दोस्ती ने अब मेरे साथ जो खालीपन छोड़ा है, मैं अपना बाकी जीवन उसे भरने की कोशिश में बिताऊंगा। प्यार के लिए दुख की कीमत चुकानी पड़ती है। अलविदा, मेरे प्यारे लाइटहाउस।”
नायडू की किताब: ‘आई केम अपॉन ए लाइटहाउस’
- 2021 में, शांतनु नायडू ने अपनी किताब ‘आई केम अपॉन ए लाइटहाउस: ए शॉर्ट मेमॉयर ऑफ लाइफ विद रतन टाटा’ लॉन्च की।
- इस किताब में रतन टाटा के साथ उनकी दोस्ती, सीख और जीवन के अनुभवों को साझा किया गया है।