चीनी नेता शी जिनपिंग ने एक विशाल सैन्य प्रदर्शन का निरीक्षण किया और सख्त चेतावनी दी कि दुनिया के सामने युद्ध या शांति के बीच चुनाव करने का विकल्प है। शी जिनपिंग ने द्वितीय विश्व युद्ध में जापान की हार के 80 साल पूरे होने का जश्न मनाया और हजारों सैनिकों तथा उन्नत हथियारों के साथ बीजिंग के मध्य से परेड की। शी के लिए यह क्षण प्रतीकात्मकता से भरपूर था, जो युद्ध के बाद के अमेरिकी नेतृत्व वाले वैश्विक व्यवस्था को और अधिक खुले तौर पर पुनर्परिभाषित करने की उनकी इच्छा को दर्शाता है।
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शी ने परेड से पहले दिए अपने भाषण में कहा कि अतीत में जब अच्छाई और बुराई, प्रकाश और अंधकार, प्रगति और प्रतिक्रिया के बीच गंभीर संघर्ष का सामना करना पड़ा, तो चीनी लोग दुश्मन को चुनौती देने के लिए एकजुट हुए। उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने देश के अस्तित्व के लिए, चीनी राष्ट्र के पुनरुद्धार के लिए, और पूरी मानवता के लिए न्याय के लिए लड़ाई लड़ी। उन्होंने कहा कि आज मानवता को फिर से शांति या युद्ध, संवाद या टकराव, जीत-जीत सहयोग या शून्य-योग के बीच चयन करना है। आपको बता दें कि ये पहला मौका है जब अमेरिका के तीन बड़े दुश्मन शी जिनपिंग, किम और पुतिन एक साथ किसी समारोह में भाग लिया था। यह परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों द्वारा एकजुटता का प्रदर्शन था और सत्तावादी शासनों पर बीजिंग के कूटनीतिक प्रभाव का संकेत था।
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अटलांटिक काउंसिल के ग्लोबल चाइना हब के ताइवान स्थित फेलो वेन-टी सुंग ने कहा कि बीजिंग अवज्ञा का संदेश दे रहा है… कि चीन अपने मित्रों के साथ खड़ा होने और उनका वास्तविक साथी बनने से नहीं डरता, यहां तक कि और शायद तब भी जब वे अंतर्राष्ट्रीय जनमत की अदालत में बहिष्कृत हों। वर्ष 2015 के बाद से अपनी तरह के पहले इस बेहद योजनाबद्ध कार्यक्रम में शी ने दिवंगत चीनी नेता माओत्से तुंग द्वारा पहने गए सूट के समान कपड़े पहने हुए थे। उन्होंने एक खुली होंगकी लक्जरी सेडान से सैनिकों का निरीक्षण किया। इस दौरान उनके सामने बड़ी संख्या में उच्च तकनीक वाले हथियार रखे हुए थे, जिनमें से कुछ का पहली बार सार्वजनिक रूप से अनावरण किया गया था।
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इस परेड में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन, पाकिस्तान, नेपाल, मालदीव समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों समेत कुल 26 विदेशी नेताओं ने भाग लिया। यह एक तरह से चीन की राजनयिक शक्ति का भी प्रदर्शन था। वहीं अमेरिका, दक्षिण कोरिया और यूरोपीय संघ के प्रमुखों ने इस परेड से दूरी बनाए रखी। जापान द्वारा विश्व नेताओं से इस परेड में भाग न लेने की अपील को लेकर जापान और चीन के बीच कूटनीतिक तनाव भी देखा गया।