Sunday, August 3, 2025
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शिवकुमार ने रेवन्ना की उम्रकैद पर भाजपा-जद(एस) नेताओं की चुप्पी को लेकर सवाल उठाए

कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने दुष्कर्म के एक मामले में जनता दल (सेक्युलर) के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के संबंध में जद (एस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं की चुप्पी पर सवाल उठाया।

विशेष अदालत ने जद (एस) के संरक्षक एच.डी. देवेगौड़ा के पोते रेवन्ना (34) को बलात्कार के एक मामले में शनिवार को उसके शेष जीवन के लिए कारावास की सजा सुनाई।

नयी दिल्ली में शिवकुमार ने संवाददाताओं से कहा कि जद(एस) नेता और उनके गठबंधन सहयोगी भाजपा ही प्रज्वल रेवन्ना मुद्दे पर टिप्पणी करने में सक्षम हैं, और उन्होंने सवाल किया कि वे क्यों नहीं बोल रहे हैं।

शिवकुमार ने कहा, ‘‘उन्हें टिप्पणी करने दीजिए। जद(एस) के प्रदेश अध्यक्ष (एच डी कुमारस्वामी), राष्ट्रीय अध्यक्ष (एच डी देवेगौड़ा), युवा अध्यक्ष (निखिल कुमारस्वामी), भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष (बी.वाई. विजयेंद्र), विपक्ष के नेता (आर अशोक) और केंद्रीय मंत्रियों, सभी को इस पर टिप्पणी करनी चाहिए। वे टिप्पणी क्यों नहीं कर रहे हैं? इस पर टिप्पणी करना उनका कर्तव्य है।’’

कांग्रेस की प्रदेश इकाई के प्रमुख शिवकुमार ने कहा, ‘‘अगर हम (कांग्रेस) इस मुद्दे पर बोलेंगे तो इसे राजनीति के रूप में देखा जाएगा। हम कानून का सम्मान करते हैं और उसका पालन करते हैं। हम चाहते हैं कि लोगों को न्याय मिले।’’

जिस मामले में प्रज्वल को सजा सुनाई गई वह 48 वर्षीय एक महिला से संबंधित है, जो हासन जिले के होलेनरसीपुरा स्थित परिवार के गन्निकाडा फार्महाउस में घरेलू सहायिका के रूप में काम करती थी। वर्ष 2021 में उसके साथ कथित तौर पर दो बार – हासन फार्महाउस और बेंगलुरु स्थित आवास पर बलात्कार किया गया था, और इस कृत्य को आरोपी ने अपने मोबाइल फोन में रिकॉर्ड कर लिया था।

इस बीच, धारवाड़ में भाजपा नेता एवं केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि अदालत ने सभी पहलुओं पर विचार करते हुए फैसला दिया होगा और इसका सम्मान किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘सभी को अदालत के आदेश को स्वीकार करना चाहिए। जब आरोप सामने आए थे, तब हमने कहा था कि अगर कोई गलती हुई है, तो जांच और सुनवाई के बाद कानून के अनुसार सजा दी जाएगी। अब जब अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है, तो सभी को इसे स्वीकार करना चाहिए। आगे के विकल्प (अपील करने के संबंध में) संबंधित पक्षों पर छोड़ दिए गए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा समाज महिलाओं को सम्मान की दृष्टि से देखता है। अदालत ने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद अपना फैसला सुनाया है।

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