नई दिल्ली:दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार के खिलाफ चल रहे एक मामले में फैसले को टाल दिया है। अब इस मामले पर 12 फरवरी 2025 को सुनवाई होगी। यह मामला 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़ा है, जिसमें सरस्वती विहार इलाके में पिता-पुत्र की हत्या का आरोप है।
सज्जन कुमार पहले से ही दिल्ली कैंट में हुए सिख विरोधी दंगों के एक अन्य मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 1 नवंबर 1984 का है, जब सरस्वती विहार इलाके में जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी।
- सज्जन कुमार पर आरोप:
अधिवक्ता अनिल शर्मा ने अदालत में दलील दी थी कि सज्जन कुमार का नाम शुरू में इस मामले में शामिल नहीं था। - गवाह के बयान में देरी:
गवाह ने 16 साल बाद सज्जन कुमार का नाम लिया, जिससे मामले में संदेह पैदा होता है। - मामले में अपील लंबित:
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सज्जन कुमार को दोषी ठहराया था, लेकिन यह मामला अभी भी सुप्रीम कोर्ट में अपील के रूप में लंबित है।
कानूनी दलीलें: भारतीय कानून बनाम अंतरराष्ट्रीय कानून
- अधिवक्ता अनिल शर्मा ने वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फुल्का द्वारा दिए गए तर्कों का जवाब देते हुए कहा कि इस मामले में अंतरराष्ट्रीय कानून लागू नहीं होता, बल्कि भारतीय कानून ही मान्य होगा।
- अतिरिक्त लोक अभियोजक मनीष रावत ने कहा कि पीड़िता आरोपी को पहले नहीं जानती थी, लेकिन बाद में जब उसे सज्जन कुमार की पहचान के बारे में जानकारी मिली, तो उसने उनके खिलाफ गवाही दी।
सिख दंगों में पुलिस जांच पर सवाल
- वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फुल्का, जो दंगा पीड़ितों की ओर से केस लड़ रहे हैं, उन्होंने तर्क दिया कि 1984 के सिख दंगों की पुलिस जांच में हेराफेरी की गई थी।
- उन्होंने आरोप लगाया कि जांच धीमी थी और आरोपियों को बचाने के लिए की गई थी।
- उन्होंने यह भी कहा कि यह मामला सिर्फ एक हत्या का नहीं, बल्कि बड़े नरसंहार का हिस्सा है, जिसमें दिल्ली में 2700 सिखों की हत्या हुई थी।