पाकिस्तान भारत के खिलाफ बेहद घिनौनी साजिश रच रहा है। इसका खुलासा खुद भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ ने किया है। सीडीएस अनिल चौहान की तरफ से जो बातें कही गई हैं। वो बेहद चौंकाने वाली हैं। पाकिस्तान सिर्फ अकेला ही नहीं चीन और बांग्लादेश मिलकर भारत को किस तरह टारगेट किया जाए इससी साजिश बुन रहे हैं। सीडीएस अनिल चौहान एक कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान की परतें खोलने का काम किया। पाकिस्तान पिछले पांच सालों में कितने हथियार चीन से ले चुका है। इन हथियारों के जरिए क्या रणनीति इन देशों के द्वारा बनाई जा रही है, जो भारत के लिए खतरनाक हो सकती है। सीडीएस अनिल चौहान ने साफ और सटीक शब्दों में कहा कि बांग्लादेश, चीन और पाकिस्तान का एक साथ आना भारत के लिए खतरे का संकेत हो सकता है।
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भारत वैसे तो पाकिस्तान को हर मुहाने पर लगातार मुंहतोड़ जवाब दे रहा है। चीन सीधे तो आकर भारत से पंगे नहीं ले रहा है। लेकिन पाकिस्तान के कंधे पर बंदूक रखकर भारत के खिलाफ चलाने की पूरजोड़ कोशिश में लगा हुआ है। चीन भारत के खिलाफ पाकिस्तान को तैयार करने की कोशिश में लगा हुआ है। पाकिस्तान को कैसे पूरी ताकत के साथ खड़ा किया जाए, इसमें चीन लगा हुआ है और ताबड़तोड़ हथियार उसकी तरफ से इस्लामाबाद को मुहैया कराए जा रहे हैं। सीडीएस चौहान ने कहा कि पाकिस्तान सालों से भारत के खिलाफ साजिश को अंजाम देता रहा है और इसमें चीन की भी भूमिका रही है। पाकिस्तान और चीन का एक-दूसरे से मिलना भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है पाकिस्तान को पिछले पांच सालों में 70 से 80 प्रतिशत हथियार और उपकरण चीन से मिले हैं।
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हिंद महासागर क्षेत्र के देशों का आर्थिक संकट उन्हीं के लिए दिक्कत बन सकता है। इसकी वजह से बाहरी शक्तियों ने अपना प्रभाव बढ़ाने का मौका हासिल कर लिया है। इसका असर भारत पर भी हो सकता है दक्षिण एशिया में सरकारों के बार-बार बदलने के साथ भू-राजनीतिक समीकरण और वैचारिक दृष्टिकोण भी बदल रहा है, जो कि एक और अहम चुनौती है। इसी तरह, चीन, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच निजी फायदे की वजह से नजदीकी बढ़ रही है, जो कि भारत की सुरक्षा और स्थिरता को लेकर खतरा बन सकती है। हम सभी मौजूदा स्थिति से वाकिफ हैं। सीडीएस ने यह भी रेखांकित किया कि कैसे भारत ने पाकिस्तान की परमाणु हमले की धौंस को उजागर किया। उन्होंने कहा कि भारत ने यह भी कहा है कि वह ‘परमाणु ब्लैकमेल’ से नहीं डरेगा। मेरा मानना है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ दो परमाणु संपन्न देशों के बीच संघर्ष का एकमात्र उदाहरण है।
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जनरल चौहान ने कहा कि इस संदर्भ में परंपरागत अभियान के लिए काफी स्थान है। अपने तर्क के समर्थन में उन्होंने तीन मूलभूत कारण बताए। उन्होंने कहा कि पहला कारण है भारत का परमाणु सिद्धांत, जिसके अनुसार भारत पहले परमाणु हथियार का इस्तेमाल नहीं करेगा। मुझे लगता है कि इससे हमें ताकत मिलती है तथा यह भारत और पाकिस्तान के बीच एक खास अंतर बनाने में योगदान देता है। उन्होंने कहा कि दूसरा कारण है, उन्होंने (पाकिस्तान ने) वास्तव में जिस तरह से जवाब दिया। भारत के जवाब में हमने रोकथाम की रणनीति के तहत, आतंकवादी हमले के जवाब में आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया। आप इसे बदला या प्रतिकार कह सकते हैं, लेकिन इससे आगे के हमलों को रोका जा सकता है। शीर्ष सैन्य अधिकारी ने कहा कि पारंपरिक अभियानों के विस्तार की अब भी गुंजाइश है। युद्ध की बदलते स्वरूप के बारे में बात करते हुए जनरल चौहान ने कहा कि भारत को पुराने और नए दोनों तरह के युद्धों के लिए तैयार रहना होगा। जनरल चौहान ने कहा कि सैन्य दृष्टिकोण से दूसरी उभरती चुनौती 365 दिन 24 घंटे उच्च स्तर की अभियानगत तैयारी बनाए रखना है। जनरल चौहान ने यह भी कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच पूर्ण तालमेल था।