शादी के बाद एक लड़की अपने मन में बड़ी उम्मीदें और मीठे ख्वाब लेकर ससुराल आती है। अपने घर-परिवार को छोड़कर एक नई जगह, नए लोगों के बीच समायोजित होना किसी चुनौती से कम नहीं होता। वह इस नए माहौल में ढलने की पूरी कोशिश करती है, लेकिन यह केवल उसके प्रयासों पर निर्भर नहीं करता। अक्सर ससुराल वालों का व्यवहार यह तय करता है कि नई बहु कितनी आसानी से ससुराल को अपना घर समझ पाती है। कुछ बहुओं को ऐसा ससुराल मिलता है जहां उन्हें मायके की कमी महसूस नहीं होती, जबकि कई बार वे ऐसे ससुराल में जाती हैं, जहां उनकी जिंदगी कठिनाइयों से भरी होती है।
जब सास ना हो सपोर्टिव
सास-बहु का रिश्ता हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। यदि सास और बहु के बीच का रिश्ता अच्छा हो, तो उस घर में खुशहाली बनी रहती है। लेकिन कुछ सास ऐसी भी होती हैं, जिन्हें अपनी बहु का खुश रहना भी चुभता है। ऐसी सासें अपनी बहु के प्रति कभी संतुष्ट नहीं होतीं, भले ही बहु कितनी ही मेहनत करे। जब ससुराल में ऐसी सास मिल जाए, तो बहु का जीवन बहुत कठिन हो जाता है। इस स्थिति में कई बार वह अपने पति से भी अपनी समस्याएं साझा नहीं कर पाती।
जब तेज ननद से पड़ जाए पाला
भाभी और ननद का रिश्ता बेहद खास होता है। जब एक लड़की अपने ससुराल पहुंचती है, तो उसे अपनी हमउम्र ननद में एक दोस्त, सलाहकार और बहन नजर आती है। यह बांड जितनी मजबूत होती है, घर का माहौल उतना ही खुशहाल रहता है। लेकिन कई बार ननद ऐसी भी होती हैं, जो अपनी भाभी को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़तीं। ऐसे ननदों के साथ रहने वाली बहुओं के लिए ससुराल में शांति से रहना मुश्किल हो जाता है।
जब जीवनसाथी ही ना दे साथ
यदि जीवनसाथी सपोर्टिव और भावनाओं को समझने वाला हो, तो ससुराल में रहना लड़की के लिए आसान हो जाता है। लेकिन अगर उसका जीवनसाथी ही उसका साथ नहीं देता, तो शादीशुदा महिला पूरी तरह टूट जाती है। कई बार स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि शादी के बाद महिला को पता चलता है कि उसके पति का किसी और से अफेयर है। ये बातें एक महिला को बुरी तरह प्रभावित करती हैं, और यदि वह इस रिश्ते से बाहर निकल भी जाए, तो उसके जीवन पर इनका असर रह जाता है।
इस तरह के अनुभव नई बहुओं के लिए चुनौतीपूर्ण होते हैं, और इसीलिए ससुराल में उनका समर्थन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।