शिवभक्तों के लिए सावन के सोमवार का दिन सबसे पावन माना जाता है। इस वर्ष के पहले सोमवार को देशभर में शिवालयों में भक्ति, आस्था और श्रद्धा का अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है। कहीं शिवालयों में घंटों लंबी कतारें लगीं हैं तो कहीं कांवड़िये हर-हर महादेव के जयघोष के साथ जलाभिषेक कर रहे हैं। पूरे देश में यह दिन शिवभक्ति के उत्सव में बदल गया है।
हम आपको बता दें कि वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर, उत्तराखंड के केदारनाथ और झारखंड के बाबा बैद्यनाथ धाम जैसे प्रमुख शिवधामों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। हजारों श्रद्धालु गंगा जल और अन्य पवित्र जल स्रोतों से जल लाकर शिवलिंग का अभिषेक करने पहुंचे। दिल्ली के प्राचीन नीलकंठ महादेव मंदिर और मध्य प्रदेश के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में सुबह से ही श्रद्धालुओं की कतारें लगी रहीं। जगह-जगह भोलेनाथ के भजन, डमरू और घड़ियालों की ध्वनि से वातावरण गूंजता रहा।
इसे भी पढ़ें: Sawan 2025: शुरू हुआ सावन का पावन महीना, इन नियमों का पालन कर पाएं शिव का आशीर्वाद
सावन के पहले सोमवार के अवसर पर कांवड़ यात्रा ने विशेष रंग लिया। हरिद्वार, ऋषिकेश, गंगोत्री जैसे पवित्र स्थानों से हजारों की संख्या में कांवड़िए पैदल यात्रा कर अपने-अपने शिवालयों में जल चढ़ाने पहुंचे। सड़कें भगवा रंग से सराबोर दिखीं, हर ओर बोल बम के नारे गूंज रहे थे। कांवड़ियों के स्वागत के लिए सहयोग शिविर, स्वास्थ्य केंद्र और भंडारे जगह-जगह लगे रहे।
हम आपको बता दें कि जहां एक ओर भक्ति का उत्साह चरम पर रहा, वहीं स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए। विशेष पुलिस बल, स्वास्थ्य टीम और आपातकालीन सेवाएं जगह-जगह तैनात रहीं। कई शहरों में ड्रोन कैमरे, सीसीटीवी और कंट्रोल रूम से भीड़ की निगरानी की गई ताकि कोई अनहोनी न हो। हम आपको बता दें कि सावन का सोमवार सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारतीय समाज में आस्था, परंपरा और संस्कृति के सामूहिक उत्सव का प्रतीक है। आज व्रत रखकर भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया जा रहा है। श्रद्धालु बिल्वपत्र, भांग, धतूरा, दूध, दही, शहद, गंगाजल आदि से भगवान शिव का पूजन कर रहे हैं। कई जगह शिव बारात, भजन संध्या और कथा-प्रवचन का भी आयोजन किया जा रहा है, जिससे श्रद्धा के साथ-साथ सामाजिक सौहार्द का संदेश भी फैल रहा है।
बहरहाल, सावन का पहला सोमवार भारत की सांस्कृतिक एकता, श्रद्धा और आस्था का जीवंत प्रमाण है। देश के कोने-कोने से उमड़ी यह भीड़ न केवल धार्मिक विश्वास का प्रतीक है, बल्कि यह दिखाती है कि आधुनिक समय में भी भारत की आध्यात्मिक परंपराएं कितनी मजबूत और जीवंत हैं। हर हर महादेव के जयघोष के साथ सावन के इस सोमवार ने शिवभक्तों के मन में शांति, सुख और उत्साह भर दिया।