महिलाओं के लिए रोटी, कपड़ा और मकान के साथ-साथ अच्छी शिक्षा, सुरक्षित भविष्य और उज्ज्वल संभावनाओं की लड़ाई भी जरूरी है। भारत में महिला साक्षरता दर 64.46% है, जो कुल साक्षरता दर से कम है। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 15 से 18 वर्ष की लगभग 39.4% लड़कियां स्कूली शिक्षा से वंचित हैं। हालाँकि इन आंकड़ों में आपका योगदान नहीं है, लेकिन आपकी बेटी की शिक्षा और भविष्य की जिम्मेदारी आपकी है। इसके लिए आपको अभी से तैयारी करनी होगी, ताकि उसे न केवल शिक्षा मिले, बल्कि उच्च शिक्षा भी प्राप्त कर सके। इसमें आपकी मदद कर सकती है सुकन्या समृद्धि योजना।
योजना का परिचय
2015 में शुरू हुई सुकन्या समृद्धि योजना एक छोटी बचत योजना है, जिसमें खाता मात्र 250 रुपए से खोला जा सकता है। इस योजना के माध्यम से माता-पिता अपनी बेटियों के भविष्य के लिए पूंजी जुटा सकते हैं। यह खाता दस वर्ष या उससे कम उम्र की बच्चियों के नाम पर खोला जा सकता है, जिसे किसी भी नजदीकी बैंक या डाकघर में खोला जा सकता है।
निवेश की प्रक्रिया
आप इस खाते में न्यूनतम 250 और अधिकतम 1.5 लाख रुपए प्रति वर्ष जमा कर सकते हैं। यह योजना आपको हर महीने पैसे जमा करने की चिंता से मुक्त कर देती है; आप जब भी चाहें पैसे जमा कर सकते हैं। खाता खुलने की तारीख से 15 साल तक पैसे जमा किए जा सकते हैं। यह योजना बच्ची के 21 साल के होने पर परिपक्व होती है, यानी तब आप इससे पैसे निकाल सकती हैं। यदि खाता धारक कन्या का विवाह 21 साल से पहले हो जाता है, तो खाता बंद हो जाएगा।
टैक्स में राहत
सुकन्या समृद्धि योजना में 1.5 लाख रुपए तक की जमा राशि पर धारा 80C के तहत कर में छूट मिलती है। इसके ब्याज और परिपक्वता राशि भी टैक्स फ्री होती है, जिससे आपको दोहरा लाभ होता है।
महत्वपूर्ण बातें
- एक ही बच्ची के लिए दो या उससे अधिक खाते नहीं खोले जा सकते।
- एक परिवार की अधिकतम दो बच्चियों के ही खाते हो सकते हैं। अगर जुड़वां बेटियां हैं, तो उनके खाते को एक ही माना जाएगा।
- यदि आप न्यूनतम 250 रुपए सालाना जमा करने से चूक जाती हैं, तो आप 15 वर्षों के भीतर 50 रुपए प्रति वर्ष के फाइन के साथ खाते को चालू करवा सकती हैं।
निकासी की प्रक्रिया
इस खाते में पैसे आप दो बार निकाल सकते हैं:
- जब आपकी बच्ची 18 साल की हो जाए या 10वीं कक्षा पास कर ले।
- दूसरी बार, जब वह 21 साल की हो जाए।
पिछले वित्तीय वर्ष तक खाते में मौजूद धनराशि का आधा पैसा उसकी आगे की पढ़ाई के लिए निकाला जा सकता है। यह धन आवश्यकतानुसार एकमुश्त या पांच वर्षों तक किश्त में निकाला जा सकता है।
यदि खाता धारक या उसके अभिभावक की मृत्यु या गंभीर बीमारी की स्थिति बनती है, तो जरूरी कागजात जमा करके खाता समय से पहले भी बंद किया जा सकता है।