2 अप्रैल को ट्रंप अपने साथ एक बड़ा सा चार्ट लेकर आए थे, जिसमें अमेरिका द्वारा दुनियाभर के देशों पर लगाए गए टैरिफ की दरें लिखी हुई थी। ट्रंप ने कहा था कि 90 दिन की मोहलत दे रहा हूं। जिन्हें अमेरिका के साथ धंधा करना है वो आकर मुझसे बात कर लें नहीं तो चार्ट के मुताबिक रेसिप्रोकल टैरिफ लगा दूंगा। रेसिप्रोकल टैरिफ यानी जैसे को तैसा वाला टैक्स। ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की बात कह दी। इसके बाद ट्रंप इतने भर में नहीं रुके भारत की तरफ से फौरन कोई प्रतिक्रिया ना आता देख 25 प्रतिशत का दंडात्मक टैरिफ भी लगा दिया। लेकिन इस बीच भारत के साथ अमेरिका की ट्रेड डील को लेकर काफी लंबे वक्त से बातचीत के चलने की खबर आ रही है। लेकिन अब तक इस पर कोई सहमति नहीं बन पाई है। इन सब के बीच ट्रंप ने अभ भारत को लेकर एक बड़ा ऐलान कर दिया है। दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप ने अपने एशियाई दौरे के आखिरी पड़ाव पर दक्षिण कोरिया में कहा कि अमेरिका और भारत लंबे समय से लंबित एक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति की यह टिप्पणी इस बात का संकेत है कि दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच समझौता बस समय की बात है। इस समझौते पर बातचीत महीनों से चल रही है, जिसमें यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध और भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने को लेकर विवाद और टैरिफ को लेकर विवाद भी शामिल है।
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उन्होंने कहा कि अगर आप भारत और पाकिस्तान को देखें, तो मैं भारत के साथ व्यापार समझौता कर रहा हूं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान और प्रेम है। हमारे बीच बहुत अच्छे संबंध हैं। ट्रम्प की सकारात्मक टिप्पणी पिछले सप्ताह आई उन रिपोर्टों के बाद आई है जिनमें तीन प्रमुख मुद्दों में से दो पर प्रगति की बात कही गई है – भारत द्वारा रियायती दरों पर रूसी तेल का निरंतर आयात और अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं के आयात पर 50 प्रतिशत ‘पारस्परिक’ टैरिफ, जिसमें उस तेल को खरीदने पर 25 प्रतिशत ‘जुर्माना’ भी शामिल है। भारत द्वारा अमेरिका को अपने मूल्य-संवेदनशील डेयरी और कृषि वस्तुओं के बाजार तक पहुंच देने से इनकार करने पर भी वार्ता रुकी हुई थी, जो किसी भी भारतीय सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण मतदाता आधार है।
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हालांकि, पिछले हफ़्ते ऐसी ख़बरें थीं कि भारत द्वारा रूसी तेल ख़रीद कम करने पर सहमति जताए जाने के बाद अमेरिका टैरिफ़ को घटाकर 16 प्रतिशत करने पर राज़ी हो गया है। यह ट्रंप और मोदी के बीच फ़ोन पर बातचीत के बाद हुआ, हालाँकि दोनों पक्षों ने टैरिफ़ और तेल के बीच समझौते की न तो कोई जानकारी दी और न ही इसकी पुष्टि की। इस समझौते में गैर-आनुवंशिक रूप से संशोधित अमेरिकी मक्का और सोयामील के आयात में भी वृद्धि हो सकती है – जो वाशिंगटन और नई दिल्ली के बीच इस ख़ास व्यापारिक गतिरोध के केंद्र में हैं – और इसमें टैरिफ़ और बाज़ार पहुँच की समय-समय पर समीक्षा करने की व्यवस्था भी शामिल हो सकती है।

