रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के साथ शांति वार्ता के लिए तत्परता जताई है, लेकिन इसके लिए एक कड़ी शर्त भी रखी है। पुतिन ने कहा है कि बातचीत तभी संभव है जब यूक्रेन अपने चार क्षेत्रों दोनबास, खेरसॉन, जापोरिझिया और लुहांस्क से अपनी सेना हटाए और इन्हें रूस का हिस्सा माने। यह बयान ऐसे समय आया है जब युद्ध को दो साल से ज्यादा हो चुके हैं। राष्ट्रपति पुतिन ने यूक्रेनी समझौते को जल्द से जल्द शांतिपूर्ण निष्कर्ष पर पहुँचाने की अपनी इच्छा व्यक्त की है। पेस्कोव ने कहा कि यह एक लंबी प्रक्रिया है, इसके लिए प्रयास की आवश्यकता है, और यह आसान नहीं है। पेस्कोव ने कहा कि दुनिया अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की कभी-कभार की जाने वाली कठोर”बयानबाजी की आदी हो चुकी है, लेकिन उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ट्रम्प ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह रूस के साथ शांति समझौते के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह तब हुआ जब जून के आरंभ में वार्ता रुक जाने के बाद कीव ने अगले सप्ताह शांति वार्ता के एक नए दौर का प्रस्ताव रखा था।
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क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने सरकारी टीवी संवाददाता पावेल ज़ारुबिन से कहा कि राष्ट्रपति (व्लादिमीर) पुतिन ने बार-बार यूक्रेन से वार्ता को यथाशीघ्र शांतिपूर्ण निष्कर्ष पर पहुंचाने की अपनी इच्छा व्यक्त की है। यह एक लंबी प्रक्रिया है, इसके लिए प्रयास की आवश्यकता है, और यह आसान नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए मुख्य बात अपने लक्ष्यों को प्राप्त करना है। हमारे लक्ष्य स्पष्ट हैं। क्रेमलिन के प्रवक्ता दमित्री पेस्कोव ने यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा मास्को को युद्ध विराम पर सहमत होने या कड़े प्रतिबंधों का सामना करने के लिए 50 दिन की समय सीमा दिए जाने के कुछ दिन बाद दिया है। क्रेमलिन ने इस बात पर जोर दिया है कि किसी भी शांति समझौते में यूक्रेन को उन चार क्षेत्रों से हटना चाहिए, जिन्हें रूस ने सितंबर 2022 में अपने अधीन कर लिया था, लेकिन कभी भी पूरी तरह से कब्जा नहीं किया।
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रूस यह भी चाहता है कि यूक्रेन नाटो (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) में शामिल होने के अपने प्रयास को छोड़ दे तथा अपने सशस्त्र बलों के लिए उसके द्वारा तय हदें स्वीकार कर ले। हालांकि, यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने इसे अस्वीकार कर दिया है। इस बीच, रूस ने यूक्रेन के शहरों पर अपने लंबी दूरी के हमलों को तेज करना जारी रखा है। विश्लेषकों का कहना है कि आने वाले दिनों में रूस की बमबारी बढ़ने की आशंका है।