जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने अपने देश की आतंकवादियों के साथ मिलीभगत को स्वीकार किया है। इस बात पर जोर दिया है कि पाकिस्तान का अतीत रहा है। हाल ही में रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी पाकिस्तान के आतंकवादी समूहों के साथ संबंधों को स्वीकार किया है। इससे पहले, एक समाचार चैनल से बातचीत में आसिफ ने इस्लामाबाद द्वारा आतंकवादी समूहों को समर्थन और धन मुहैया कराने की बात स्वीकार की थी।
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भूट्टो ने गुरुवार को स्काई न्यूज के यल्दा हकीम के साथ बातचीत में पाकिस्तान के चरमपंथ के इतिहास को स्वीकार किया। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान को इसके परिणामस्वरूप नुकसान उठाना पड़ा है और उसके बाद से उसने सुधार किया है। जहां तक रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की बात है, तो उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के आतंकवादी समूहों के साथ संबंधों को लेकर कोई संदेह नहीं है। जहां तक रक्षा मंत्री ने कहा है, मुझे नहीं लगता कि यह कोई रहस्य है कि पाकिस्तान का अतीत रहा है…परिणामस्वरूप, हमने कष्ट झेले हैं। बिलावल भुट्टो ने कहा कि पाकिस्तान ने कष्ट झेले हैं। हम चरमपंथ की एक के बाद एक लहरों से गुजरे हैं। लेकिन हमने जो कुछ झेला है, उसके परिणामस्वरूप हमने सबक भी सीखे हैं। इस समस्या से निपटने के लिए हमने आंतरिक सुधार किए हैं।
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भुट्टो ने आगे कहा जहां तक पाकिस्तान के इतिहास का सवाल है, यह इतिहास है और यह ऐसा कुछ नहीं है जिसमें हम आज हिस्सा ले रहे हैं। यह सच है कि यह हमारे इतिहास का दुर्भाग्यपूर्ण हिस्सा है। बीते दिनों पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ से एक इंटरव्यू में ये बात पूछी गई कि क्या पाकिस्तान का इन आतंकवादी संगठन को समर्थन, वित्त पोषण और प्रशिक्षण देने का लंबा इतिहास रहा है। इसके जवाब में आसिफ ने कहा कि हम तीन दशकों से अमेरिका के लिए ये गंदा काम कर रहे हैं। ख्वाजा आसिफ का ये बयान सीधे तौर पर अमेरिका को कटघरे में लाकर खड़ा कर देता है कि पिछले तीन दशक से जो कुछ भी पाकिस्तान में हो रहा है। जो कुछ भी समर्थन इस्लामाबाद की तरफ से आतंकियों को दिया जा रहा है उसके पीछे पाकिस्तान नहीं बल्कि अमेरिका है।