डीएमके सांसद कनिमोझी के लिए उस समय बड़ी असहज स्थिति उत्पन्न हो गयी जब स्पेन में भारतीय प्रवासियों से बातचीत के दौरान उनसे पूछ लिया गया कि भारत की राष्ट्रीय भाषा कौन-सी है? यह सवाल उनके लिए इसलिए भी कठिन था क्योंकि उनकी पार्टी हिंदी विरोधी है और डीएमके का तीन-भाषा नीति को लेकर केंद्र सरकार से लंबे समय से मतभेद चल रहा है। इसके अलावा, तमिलनाडु की राजनीति में हिंदी के विरोध में कई दशकों से तीव्र भावना रही है। कनिमोझी स्वयं कई बार केंद्र सरकार पर यह आरोप लगा चुकी हैं कि तीन-भाषा नीति और राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर केंद्र सरकार तमिलनाडु को फंड देने में भेदभाव कर रही है और इससे राज्य के बच्चों का भविष्य खतरे में है। इसके अलावा, डीएमके ने संसद परिसर और तमिलनाडु में भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शन भी किए हैं। इसलिए जब कनिमोझी ने इस सवाल का जवाब दिया तो वह सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
हम आपको बता दें कि कनिमोझी ने सवाल के जवाब में कहा कि भारत की राष्ट्रीय भाषा है— एकता और विविधता। यही वह संदेश है जो यह प्रतिनिधिमंडल दुनिया को देना चाहता है और आज के समय में यही सबसे अहम बात है। बाद में कनिमोझी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ”स्पेन में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के कार्यक्रम के हिस्से के रूप में मुझे भारतीय समुदाय से मिलकर बहुत खुशी हुई। घर से दूर रहने वाले इतने सारे भारतीयों से जुड़ना अद्भुत अनुभव था।”
हम आपको बता दें कि प्रतिनिधिमंडल अपनी पांच देशों की यात्रा के अंतिम चरण में तीन दिवसीय दौरे पर शनिवार को स्पेन पहुंचा था। यह उन सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों में से एक है जिन्हें भारत ने 33 देशों की राजधानियों का दौरा करने का दायित्व सौंपा है, ताकि पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय समुदाय तक यह संदेश पहुंचाया जा सके कि पाकिस्तान का आतंकवाद से संबंध है। यात्रा के दौरान, प्रतिनिधिमंडल ने स्पेन सरकार के प्रतिनिधियों और नागरिक संस्था के प्रतिनिधियों से मुलाकात की तथा आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति से अवगत कराया।