मोहाली की एक सीबीआई अदालत ने 1993 में तरनतारन जिले में हुई दो फर्जी मुठभेड़ों में शामिल होने के आरोप में एक पूर्व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) और एक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) सहित पंजाब पुलिस के पांच सेवानिवृत्त अधिकारियों को दोषी ठहराया है। जिन लोगों को दोषी ठहराया गया है उनमें पूर्व पुलिस उपाधीक्षक भूपिंदरजीत सिंह (जो बाद में एसएसपी के पद से सेवानिवृत्त हुए), पूर्व सहायक उप-निरीक्षक दविंदर सिंह (जो डीएसपी के पद से सेवानिवृत्त हुए), पूर्व सहायक उप-निरीक्षक गुलबर्ग सिंह, पूर्व निरीक्षक सूबा सिंह और पूर्व एएसआई रघबीर सिंह शामिल हैं।
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रानी वल्लाह गांव के सात लोगों, जिनमें चार विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) भी शामिल थे, को पुलिस ने अवैध रूप से उठा लिया, उन पर अत्याचार किया और उनकी हत्या कर दी। इन अधिकारियों को आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत आपराधिक षड्यंत्र, हत्या, सबूत नष्ट करने और रिकॉर्ड में हेराफेरी करने का दोषी पाया गया। फैसले के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया और जल्द ही सजा सुनाई जाएगी।
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सीबीआई की जाँच से पता चला कि सरहाली पुलिस स्टेशन के तत्कालीन स्टेशन हाउस ऑफिसर गुरदेव सिंह के नेतृत्व में एक पुलिस दल ने 27 जून, 1993 को एक सरकारी ठेकेदार के घर से विशेष पुलिस अधिकारी शिंदर सिंह, देसा सिंह, सुखदेव सिंह और बलकार सिंह तथा दलजीत सिंह नामक दो अन्य लोगों को हिरासत में लिया था। सीबीआई की जाँच से पता चला कि इन लोगों को डकैती के एक झूठे मामले में फँसाया गया था। इसके बाद, 2 जुलाई, 1993 को सरहाली पुलिस ने शिंदर सिंह, देसा सिंह और सुखदेव सिंह के खिलाफ सरकारी हथियारों के साथ फरार होने का मामला दर्ज किया।