डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ का ऐलान तो पहले ही किया जा चुका है जो 7 अगस्त की तारीख से प्रभावी होगा। लेकिन जिसके बाद ट्रंप की तरफ से एक बार फिर से भारत पर निशाना साधते हुए भारी टैरिफ लगाने की बात कही गई है। उनका कहना है कि भारत के साथ ट्रेड बैलेंस नेशनल सिक्योरिटी का मुद्दा है। इसलिए भारत के ऊपर टैरिफ लगाया जा रहा है। इस वक्त सबसे बड़ा मुद्दा रूस के साथ व्यापार किया जाना है। एक वक्त ऐसा था जब बड़ी बड़ी डींगे हांकने वाले ट्रंप 24 घंटे में यूक्रेन युद्ध खत्म करा लेने और रूस को संभाल लेने की बातें करते थे। लेकिन जब ऐसा करने में हो नाकाम रहे। उनकी दूसरी रणनीति में रूस के साथ व्यापार करने वाले देशों को सजा देने के मूड में है। हालांकि भारत ने अमेरिका को एक्सपोज किया था। कैसे अमेरिका और यूरोप बड़ी मात्रा में रूस के साथ ट्रेड कर रहे हैं। वो भारत को मना कर रहे हैं। जिस तरह से भारत के ऊपर टैरिफ लगाया जा रहा है। भारत के कई सारे सेक्टर्स खासकर अमेरिका में जो एक्सपोर्ट करते हैं। उन्हें बड़ा झटका लगेगा। ऐसे में भारत को अपनी इकोनॉमी और देशवासियों को शील्ड करने की जरूरत है।
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20,000 करोड़ का एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन
ट्रंप के कदम से एक्सपोर्ट्स को बड़ा झटका लगेगा और इसको देखते हुए खबर आ रही है कि 20 हजार करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन लॉन्च किया जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि भारत अपने निर्यातकों को वैश्विक व्यापार अनिश्चितताओं और उतार-चढ़ाव से बचाने के लिए सितंबर तक ₹20,000 करोड़ की दीर्घकालिक योजना पेश करने की योजना बना रहा है। अधिकारियों ने बताया कि नए निर्यात संवर्धन मिशन के तहत निर्यात ऋण तक आसान पहुँच को सुगम बनाने और विदेशी बाजारों में गैर-शुल्क बाधाओं से निपटने के उद्देश्य से कई उपायों की योजना बनाई जा रही है। सरकार की रणनीति विशेष रूप से प्रासंगिक है, क्योंकि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय निर्यातकों को अमेरिका द्वारा लगाए गए 25% टैरिफ से निपटने के लिए स्वदेशी ब्रांडों को विकसित करने और विपणन करने की सलाह दे रहा है।
निर्यातकों के लिए भारत की बड़ी योजना
अधिकारियों ने ईटी को बताया कि भारत अपने निर्यातकों को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में उतार-चढ़ाव और बाज़ार की अनिश्चितताओं से बचाने के लिए सितंबर तक इस योजना को लागू करने की योजना बना रहा है। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि नए निर्यात संवर्धन मिशन में निर्यात ऋण तक पहुँच को आसान बनाने और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में गैर-टैरिफ बाधाओं को दूर करने पर केंद्रित विभिन्न पहल शामिल होंगी। इस मिशन को एक योजना के रूप में क्रियान्वित करने के लिए अगले पाँच-छह वर्षों में ₹20,000 करोड़ से अधिक की आवश्यकता होगी। इस पर विचार-विमर्श चल रहा है। कार्यक्रम में पांच प्रमुख क्षेत्र व्यापार वित्त, गैर-व्यापार वित्त जिसमें विनियमन, मानक और बाजार पहुंच शामिल है।
सितंबर से हो सकता है शुरू
एमएसएमई निर्यातकों के लिए इस रणनीति में न्यूनतम या बिना किसी संपार्श्विक आवश्यकता के ऋण प्रदान करना शामिल है, जो व्यक्तिगत निर्यात सीमा और ऋण-योग्यता मूल्यांकन के अधीन है। यह पहल वाणिज्य एवं उद्योग, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) और वित्त मंत्रालयों के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है। यह मिशन अमेरिका और जहाँ भी हमारा निर्यात जाता है, वहाँ के निर्यात में अप्रत्यक्ष रूप से मदद करेगा। हमें इसे अगस्त तक पूरा करना होगा ताकि सितंबर तक यह चालू हो जाए।