अमिताभ बच्चन का एक बेहद मशहूर फिल्मी डायलॉग है…‘हम जहां से खड़े होते हैं लाइन वहीं से शुरू होती है।’ ऐसा ही कुछ बंगाल में ममता बनर्जी के लिए कहा जाता रहा है। 2021 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने 2021 के विधानसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक तो लगा दी। लेकिन राज्य में बीजेपी ने पहली बार अपनी उपस्थिति बेहद ही मजबूत ढंग से दर्ज करवाई। पिछले विधानसभा चुनाव में वह केवल तीन सीट जीती थी। 2021 में वो बढ़कर 77 हो गई। बंगाल विधानसभा चुनाव किसी के लिए महज़ चुनाव हो लेकिन ममता बनर्जी के लिए यह किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं था। उनके सामने अपने राजनितिक वजूद को बचाए रखने की चुनौती थी तो दीदी ने पार्टी के चुनाव प्रचार की कमान खुद अपने हाथों में ले ली। 2021 के चुनाव में ममता दीदी ने दो सीटों से चुनाव लड़ने का फैसला किया और ये काफी हद तक सफल भी रहा। नंदीग्राम से टीएमसी से बगावत कर भगवा थामने वाले सुवेंदु अधिकारी ने ममता बनर्जी को ही पटखनी दे दी।
इसे भी पढ़ें: ममता बनर्जी को केवल बांग्ला भाषी मुसलमानों की चिंता: हिमंत
2021 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का वोट शेयर 38.1 फ़ीसदी जबकि ममता बनर्जी का 47.94 फ़ीसदी रहा। ममता बनर्जी को बीजेपी से क़रीब 10 फ़ीसदी वोट ज़्यादा मिले थे। लेकिन अब लगता है कि 2026 में हालात और भी चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं। ऐसी आशंकाएं ऐसे ही नहीं बन रही हैं। दिल्ली से अरविंद केजरीवाल की विदाई के बाद अब क्या अगला नंबर बंगाल का हो सकता है? पिछली बार तो हाथ से निकल रहा मामला प्रशांत किशोर ने संभाल लिया था। लेकिन अब तो वो भी अपनी राजनीतिक दुनिया बसाने की कोशिश में लगे हैं। जिस तरह से ममता बनर्जी कांग्रेस के साथ पेश आ रही है। दिल्ली जैसी स्थिति पश्चिम बंगाल में भी बन सकती है। जहां दिल्ली की तरह कांग्रेस ममता बनर्जी के साथ बीजेपी के खेला को और भी हवा दे सकती है।
इसे भी पढ़ें: लगातार हो रही बारिश के बीच भीगे कपड़े, हाथ जोड़े…बंगालियों के पीछे बीजेपी, ममता का नया नैरेटिव
पश्चिम बंगाल में बीजेपी सरकार नहीं बना पाई लेकिन विपक्ष की पूरी जगह उसने अपने पाले में कर लिया। पार्टियाँ अक्सर सत्ता में आने से पहले विपक्ष की जगह ही हासिल करती हैं और ये काम बीजेपी ने सीपीएम-कांग्रेस को बेदखल करके कर लिया। पश्चिम बंगाल में बीजेपी का विपक्ष बनना यहाँ की राजनीति के लिए एक बड़ा टर्निंग प्वाइंट माना गया। पिछले बार के चुनाव में ममता ने मुसलमानों के बीच संदेश फैलाने में सफलता हासिल की कि वोट टीएमसी को करो नहीं तो बीजेपी जीत जाएगी। कहा जा रहा है कि ममता बनर्जी अभी से ही चुनाव की तैयारियों में लग गई हैं जबकि चुनाव होने में अभी एक साल से ज्यादा का वक्त बचा हुआ है। ऐसे में ममता मुस्लिम पैंतरे को अपना रही है। लेकिन क्या ये पैतरा 2026 में भी कारगर रह पाएगा?
इसे भी पढ़ें: कोलकाता में ममता बनर्जी से मिले जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, इस बात के लिए जताया आभार
ममता बनर्जी अपने वोटरों को अच्छी तरह जानती पहचानती हैं। वो ये भी जानती हैं कि वोट कैसे लिए जाने हैं। तभी तो वो नंदीग्राम में चंडीपाठ करती नजर आती हैं और मौका देखकर फुफुराशरीफ भी पहुंच जाती हैं। 2019 के आम चुनाव में बीजेपी ने ममता बनर्जी को बड़ा झटका दिया था। लेकिन 2021 के विधानसभा चुनाव के जोश ने 2024 में बीजेपी को बंगाल में आगे बड़ने से रोक दिया। ममता बनर्जी अच्छे से जानती हैं कि उनका वोटर क्या चाहता है।
इसे भी पढ़ें: मुस्लिम बहुल इलाकों में न जाएं…, बंगाल के लोगों से बोले सुवेंदु अधिकारी, TMC ने किया पलटवार
महान स्वतंत्रता सेनानी गोपाल कृष्ण गोखले ने कहा था, “what bengal thinks today, India thinks tomorrow” यानी जो बंगाल आज सोचता है, वो भारत कल सोचेगा। पश्चिम बंगााल में परिवर्तन में वक्त लगता है। आजादी के बाद से कांग्रेस लगभग तीन दशक तक सत्ता में रही। कांग्रेस के बाद 34 सालों तक वाम दलों का शासन रहा। लेकिन पिछले 14 सालों से ममता की टीएमसी सत्ता में है। बंगाल लोगों को वक्त देता है। ममता को लेकर भी बंगाल अपनी पुरानी रवायत को अपना रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के तीन से 77 तक पहुँचने को जो लोग कमतर आँक रहे हैं वे ग़लती कर रहे हैं क्योंकि बंगाल में बीजेपी अब केवल इंटरनेट पर नहीं है बल्कि लोकसभा के बाद विधानसभा में भी पहुँच गई है। बीजेपी ने भी बंगाल के दरवाजे पर दस्तक दे दी है और कह रही है कि हमारा भी वक्त आ गया है।