केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज सुबह संसद में पुष्टि की कि 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में शामिल तीन आतंकवादियों को कल जम्मू-कश्मीर में ऑपरेशन महादेव में सुरक्षा बलों ने मार गिराया। उन्होंने कहा कि आगे की पुष्टि के लिए, पहलगाम हमले वाली जगह से बरामद गोलियों के खोलों की फोरेंसिक रिपोर्ट का इस्तेमाल किया गया। इन आतंकवादियों के मारे जाने के बाद, उनकी राइफलें जब्त कर ली गईं। एक M9 थी और बाकी दो AK-47 थीं। हमने इन राइफलों को एक विशेष विमान से चंडीगढ़ सेंट्रल FSL (फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी) मंगवाया। हमने इन राइफलों से गोली चलाकर खाली कारतूस निकाले और फिर पहलगाम में मिले कारतूसों से उनका मिलान किया। तब यह पुष्टि हुई कि इन तीनों राइफलों का इस्तेमाल हमारे निर्दोष नागरिकों की हत्या के लिए किया गया था।
इसे भी पढ़ें: जन्मदिन उद्धव का लेकिन अमित शाह ने UBT सांसद को लगा दिया फोन, पूछा- कितने बरस के हो गए?
उन्होंने कहा कि इसमें संदेह की कोई गुंजाइश नहीं है। मेरे पास बैलिस्टिक रिपोर्ट है, छह वैज्ञानिकों ने इसकी क्रॉस-चेकिंग की है और वीडियो कॉल पर मुझे पुष्टि की है कि पहलगाम में चलाई गई गोलियाँ और इन बंदूकों से चलाई गई गोलियाँ 100 प्रतिशत मेल खाती हैं। गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान आतंक के आकाओं का सफाया कर दिया। उन्होंने आगे कहा और अब, सेना और सीआरपीएफ ने भी उन आतंकवादियों का सफाया कर दिया है। अमित शाह ने कहा कि वे कल कह रहे थे कि अपराधी पाकिस्तान भाग गए। वे चाहते थे कि हम जिम्मेदारी लें। ‘हमारी तो सेना ने ठोक दिया’। लेकिन मैं उनसे पूछना चाहता हूं… कांग्रेस सरकार के दौरान बड़ी संख्या में आतंकवादी भाग गए… उन्होंने हमसे सवाल पूछे, और सुरक्षा बलों ने जवाब दिए। अब, राहुल गांधी को जवाब देना चाहिए कि कांग्रेस सरकार के दौरान आतंकवादी क्यों भाग गए।
इसे भी पढ़ें: गृह मंत्री मेरी मां के आंसुओं तक चले गए, लेकिन यह नहीं बताया कि युद्धविराम हुआ क्यों? प्रियंका का सरकार पर तंज
भारत और पाकिस्तान के बीच सीज़फायर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पाकिस्तान के छह रडार सिस्टम नष्ट कर दिए गए… उन्होंने हमारे रिहायशी इलाकों पर हमला किया, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया… हमने केवल उनके हवाई ठिकानों पर हमला किया और उनकी हमलावर क्षमताओं को बर्बाद कर दिया। हमारे सशस्त्र बल अक्षुण्य थे। और उनकी हमलावर क्षमताएं नष्ट कर दी गईं। पाकिस्तान के पास आत्मसमर्पण करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था इसलिए 10 मई को पाकिस्तानी डीजीएमओ ने हमारे डीजीएमओ को फोन किया और हमने शाम 5 बजे संघर्ष रोक दिया।