Wednesday, February 5, 2025
spot_img
Homeराष्ट्रीयVanakkam Poorvottar: Detention Centres में रह रहे विदेशियों को वापस भेजने की...

Vanakkam Poorvottar: Detention Centres में रह रहे विदेशियों को वापस भेजने की तैयारी! SC की फटकार के बाद चेती Assam सरकार

अमेरिका अपने देश में गलत तरीके से घुसे या वीजा खत्म हो जाने के बाद अवैध रूप से रह रहे लोगों को बाहर निकाल रहा है। भारत में भी बड़ी संख्या में बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों ने घुसपैठ की हुई है। वह यहां के संसाधनों पर दबाव डाल रहे हैं और अपराध भी कर रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि भारत कब घुसपैठियों को बाहर निकालने का काम शुरू करेगा? असम का ही उदाहरण लें तो उच्चतम न्यायालय ने विदेशी घोषित किए गए लोगों को निर्वासित करने के बजाय उन्हें अनिश्चितकाल तक निरुद्ध केंद्रों में रखने को लेकर राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए सवाल किया है कि क्या सरकार उन्हें वापस भेजने के लिए ‘‘किसी मुहूर्त का इंतजार कर रही’’ है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि असम तथ्यों को छिपा रहा है और हिरासत में लिए गए लोगों के विदेशी होने की पुष्टि होते ही उन्हें तत्काल निर्वासित कर दिया जाना चाहिए। पीठ ने कहा, ‘‘आपने यह कहकर निर्वासन की प्रक्रिया शुरू करने से इंकार कर दिया कि उनके पते ज्ञात नहीं हैं। यह हमारी चिंता क्यों होनी चाहिए? आप उन्हें उनके देश भेज दें। क्या आप किसी मुहूर्त का इंतजार कर रहे हैं?’’ शीर्ष अदालत ने असम सरकार के इस स्पष्टीकरण पर आश्चर्य जताया कि वह विदेश मंत्रालय को राष्ट्रीयता सत्यापन फॉर्म इसलिए नहीं भेज रही है, क्योंकि विदेश में बंदियों का पता ज्ञात नहीं है।

इसे भी पढ़ें: अधिग्रहीत जमीनों के मालिकों को मुआवजा देने का फैसला पिछली तारीख से लागू होगाः Supreme Court

पीठ ने असम सरकार की ओर से पेश वकील से कहा, ‘‘जब आप किसी व्यक्ति को विदेशी घोषित करते हैं, तो आपको इसके बाद अगला तार्किक कदम उठाना पड़ता है। आप उन्हें अनिश्चितकाल तक निरुद्ध केंद्र में नहीं रख सकते। संविधान का अनुच्छेद-21 मौजूद है। असम में विदेशियों के लिए कई निरुद्ध केंद्र हैं। आपने कितने लोगों को निर्वासित किया है?’’ शीर्ष अदालत ने असम सरकार को निर्देश दिया कि वह निरुद्ध केंद्रों में रखे गए उन 63 लोगों को निर्वासित करने की प्रक्रिया शुरू करे, जिनकी राष्ट्रीयता ज्ञात है और दो सप्ताह के भीतर वस्तुस्थिति रिपोर्ट दाखिल करे। न्यायालय ने कहा, “हम राज्य सरकार को इस आदेश के अनुपालन की जानकारी देते हुए उचित हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हैं। अगर राज्य सरकार को पता चलता है कि राष्ट्रीयता सत्यापन फॉर्म दो महीने पहले भेजे गए हैं, तो वह तुरंत विदेश मंत्रालय को एक अनुस्मारक जारी करेगी। मंत्रालय को जैसे ही अनुस्मारक प्राप्त होगा, वह राष्ट्रीयता की स्थिति के सत्यापन के आधार पर प्रभावी कार्रवाई करेगा।”
पीठ ने असम के मुख्य सचिव डॉ. रवि कोटा से सवाल-जवाब किए, जिन्हें वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये पेश होने का निर्देश दिया गया था। उसने डॉ. रवि कोटा से पूछा कि बंदियों को उनके संबंधित देशों में वापस भेजने में देरी क्यों हो रही है। पीठ ने मुख्य सचिव से कहा, ‘‘पता मालूम नहीं होने पर भी आप उन्हें निर्वासित कर सकते हैं। आप उन्हें अनिश्चितकाल तक हिरासत में नहीं रख सकते।’’ असम सरकार के वकील ने बिना पते वाले विदेशियों को निर्वासित करने में असर्मथता जताई। पीठ ने इस पर कहा, ‘‘आप उन्हें उनके देश की राजधानी में भेज सकते हैं। मान लीजिए कि व्यक्ति पाकिस्तान से है, तो आप पाकिस्तान की राजधानी तो जानते ही हैं? आप यह कहकर उन्हें यहां हिरासत में कैसे रख सकते हैं कि उनका पता ज्ञात नहीं है? आप कभी उनका पता नहीं जान पाएंगे।’’ पीठ ने कहा कि राज्य का खजाना इतने वर्षों से हिरासत में लिए गए लोगों पर खर्च हो रहा है और यह आश्चर्यजनक है कि इससे सरकार को कोई परेशानी नहीं है।
हम आपको बता दें कि याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजालविज ने कहा कि बांग्लादेश ने बंदियों को अपना नागरिक मानने से इंकार कर दिया है। उन्होंने पीठ को बताया, ‘‘मेरी जानकारी के अनुसार, यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या बांग्लादेश इन लोगों को लेगा। बांग्लादेश मना कर रहा है। भारत का कहना है कि वे भारतीय नहीं हैं। बांग्लादेश का कहना है कि वे बांग्लादेशी नहीं हैं। उन्हें कोई अपना नागरिक मानने को तैयार नहीं है। वे 10 साल से अधिक समय से हिरासत में हैं। बांग्लादेश का कहना है कि वे ऐसे किसी भी व्यक्ति को स्वीकार नहीं करेंगे, जो कई साल से भारत में रह रहा हो।’’ हिरासत में लिए गए लोगों के रोहिंग्या होने का दावा करते हुए गोंजालविज ने कहा कि केंद्र और राज्य को अदालत के सामने सच्चाई का खुलासा करना चाहिए।
वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने असम सरकार की ओर से दायर हलफनामे में खामियों के लिए खेद जताया और भरोसा दिलाया कि वह सर्वोच्च प्राधिकारी से बात करेंगे और अदालत में सभी विवरण पेश करेंगे। तुषार मेहता ने कहा, ‘‘मैं विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से बात करूंगा। यह राज्य का विषय नहीं है। यह केंद्र का विषय है, जिसे केंद्र कूटनीतिक रूप से निपटाता है। मैं संबंधित अधिकारी से बात करूंगा।’’ शीर्ष अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह अब तक निर्वासित किए गए लोगों का विवरण दे और बताए कि वह आगे इस तरह के बंदियों के मामले में कैसे निपटेगा, जिनकी राष्ट्रीयता अज्ञात है। हम आपको बता दें कि पीठ ने असम में विदेशी घोषित किए गए लोगों के निर्वासन और निरुद्ध केंद्रों में सुविधाओं से संबंधित याचिका पर सुनवाई के दौरान ये निर्देश दिए। मामले की अगली सुनवाई 25 फरवरी को होगी।
इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि जब तक घुसपैठियों और उनके मददगारों पर NSA, UAPA, Waging War, देशद्रोह और गैंगस्टर एक्ट नहीं लगेगा, 100% संपत्ति जब्त नहीं होगी, नागरिकता खत्म नहीं होगी और आजीवन कारावास नहीं होगा तब तक न तो घुसपैठिए आना बंद करेंगे और न तो यहां रह रहे घुसपैठिए भागेंगे।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments