अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन पर टैरिफ लगाए जाने के बाद अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध शुरू हो गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी स्थिति में भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में अपना शिपमेंट बढ़ाने से फायदा हो सकता है। भारत से निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। पीटीआई की खबर के अनुसार, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान जब अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर उच्च टैरिफ लगाया था, तो भारत चौथा सबसे बड़ा लाभार्थी था।
अमेरिका में भारत के लिए निर्यात के विशाल अवसर
खबरों के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि सत्ता में लौटने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को चीन से आयात पर भारी शुल्क लगाने के आदेश पर हस्ताक्षर किए। इससे चुनावी वादा तो पूरा हो गया, लेकिन अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए मूल्य वृद्धि की संभावना बढ़ गई। निर्यातकों का कहना है कि चीन से आयात पर अमेरिका द्वारा सीमा शुल्क लगाने से भारत को अमेरिका को निर्यात करने का बड़ा अवसर मिलता है। इन टैरिफों से चीन से अमेरिका को होने वाले निर्यात पर असर पड़ेगा, क्योंकि इनसे अमेरिकी बाजार में चीनी वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाएंगी, जिससे वे कम प्रतिस्पर्धी हो जाएंगी।
इन क्षेत्रों को निर्यात में लाभ मिलने की संभावना
भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि इस कदम से व्यापार विचलन के प्रभाव के कारण भारतीय निर्यात के लिए अवसर पैदा हो सकते हैं, क्योंकि अमेरिकी खरीदार उच्च लागत से बचने के लिए वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं की तलाश करेंगे। उन्होंने कहा कि लाभ की सीमा भारत की विनिर्माण क्षमता और प्रतिस्पर्धात्मकता पर निर्भर करती है। सहाय ने कहा कि जिन क्षेत्रों को लाभ होने की संभावना है उनमें विद्युत मशीनरी और घटक, ऑटो घटक, मोबाइल, फार्मा, रसायन, परिधान, कपड़े आदि शामिल हैं।
अप्रैल-नवंबर 2024-25 के दौरान, वस्तुओं में द्विपक्षीय व्यापार 82.52 बिलियन अमेरिकी डॉलर (निर्यात 52.89 बिलियन अमेरिकी डॉलर, आयात 29.63 बिलियन अमेरिकी डॉलर और व्यापार अधिशेष 23.26 बिलियन अमेरिकी डॉलर) रहा, जिससे यह भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया।