Saturday, October 18, 2025
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सांसदों-विधायकों के खिलाफ लंबित 5,000 मामलों के शीघ्र निपटान की मांग

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सुप्रीम कोर्ट से पूर्व और मौजूदा सांसदों-विधायकों के खिलाफ लंबित करीब 5,000 मामलों के शीघ्र निपटान के लिए दिशानिर्देश की मांग की गई है। शीर्ष कोर्ट की ओर से एमिकस क्यूरी नियुक्त किए गए वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने दलील दी कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई में देरी हो रही है, क्योंकि उनके पास जांच और कोर्ट में प्रभाव डालने की शक्ति है। इसके कारण लंबित मामलों का निपटान नहीं हो रहा है, जिससे हमारे लोकतांत्रिक ढांचे पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।

एडीआर की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे

हंसारिया ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ एक जनवरी 2025 तक 4,732 आपराधिक मामले लंबित थे, जिनमें 892 मामले 2024 में दर्ज किए गए थे। उन्होंने यह भी बताया कि लोकसभा के मौजूदा 543 सदस्यों में से 251 पर आपराधिक मामले हैं, जिनमें से 170 मामले गंभीर अपराधों से जुड़े हैं, जिनकी सजा पांच साल या उससे अधिक हो सकती है।

शीघ्र सुनवाई की मांग

हंसारिया ने कहा कि विशेष अदालतों में सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों में सुनवाई अन्य सामान्य मामलों के साथ होती है, जिससे देरी होती है। उन्होंने शीर्ष कोर्ट से यह भी अपील की कि मामले तीन साल से अधिक समय से लंबित होने पर उनकी प्रति-दिन सुनवाई की जाए और दो बार सुनवाई में हाजिर न रहने वाले आरोपियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए जाएं।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के दिशानिर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसमें विशेष अदालतों को इन मामलों को प्राथमिकता देने के लिए कहा गया था। हालांकि, इन दिशानिर्देशों के बावजूद, मामलों की सुनवाई में उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई है।

यह मुद्दा हमारे लोकतांत्रिक ढांचे के लिए चिंता का विषय है। लंबित आपराधिक मामलों का शीघ्र निपटान सुनिश्चित करना आवश्यक है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कानून सभी के लिए समान है, चाहे उनकी राजनीतिक स्थिति कुछ भी हो।

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