मणिपुर के सीएम बीरेन सिंह ने क्यों दिया इस्तीफा: पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में 3 मई 2023 को शुरू हुई सांप्रदायिक हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। विपक्ष लगातार सीएम बीरेन सिंह के इस्तीफे की मांग कर रहा था क्योंकि वह मणिपुर हिंसा को रोकने में विफल रहे। मणिपुर में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की राज्य इकाई में चल रहे तनाव के बीच मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने रविवार को राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंपा।
बीरेन सिंह ने रविवार को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
भाजपा नेता और कुकी संगठनों का एक वर्ग जातिगत हिंसा के लिए बीरेन सिंह को दोषी ठहरा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक बीरेन सिंह मुख्यमंत्री हैं, कोई बातचीत नहीं हो सकती। ऐसे में बीरेन सिंह ने राज्यपाल अजय भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया। राज्यपाल ने बीरेन सिंह को कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में काम करते रहने को कहा है।
भाजपा के अपने विधायक विपक्ष में बैठने की कर रहे थे तैयारी
राज्य में भाजपा के 32 विधायक हैं। पिछले 21 महीनों में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वाई खेमचंद समेत कई कुकी भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठकों में शामिल होने से इनकार कर दिया। इसके बजाय, वह दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से संपर्क कर रहे थे। खबर यह भी है कि कम से कम पांच भाजपा विधायकों ने विपक्ष में बैठने की घोषणा की है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को इसकी जानकारी दे दी गई है। वहीं, 10 अन्य भाजपा विधायकों ने विपक्ष में बैठने और प्रदर्शनकारी विधायकों का समर्थन नहीं करने का वादा किया।
इन विधायकों में मंत्री भी शामिल थे। मुख्यमंत्री को यह सब पता था और केंद्रीय नेतृत्व को नियमित रूप से इसकी जानकारी दी जाती थी। इसके बाद उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया। खबरों के मुताबिक, रविवार को जब मुख्यमंत्री राज्यपाल से मिलने गए तो 20 से भी कम विधायक समर्थन में आए।
सुप्रीम कोर्ट ने रिपोर्ट मांगी थी।
सर्वोच्च न्यायालय ने 3 फरवरी को मणिपुर में जातिगत हिंसा में बीरेन सिंह की भूमिका का आरोप लगाने वाली लीक हुई ऑडियो क्लिप की प्रामाणिकता पर सीलबंद लिफाफे में फोरेंसिक रिपोर्ट मांगी। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने ‘कुकी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट’ (कोहूर) द्वारा दायर याचिका पर केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) से छह सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी और सुनवाई 24 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी।
कोहुर की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने जातिगत हिंसा में मुख्यमंत्री की कथित भूमिका की अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच कराने का अनुरोध किया। भूषण ने लीक हुए ऑडियो क्लिप की विषय-वस्तु को ‘बहुत गंभीर मामला’ करार दिया था और कहा था कि क्लिप में मुख्यमंत्री कथित तौर पर कह रहे थे कि मैतेई समूहों को राज्य सरकार के हथियार और गोला-बारूद लूटने की अनुमति दी गई थी। मई 2023 में राज्य में जातिगत हिंसा भड़कने के बाद से 250 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।
अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी चल रही थी।
कांग्रेस ने संकेत दिया था कि वह आगामी विधानसभा सत्र के दौरान अविश्वास प्रस्ताव लाएगी। पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता ओकराम इबोबी सिंह ने राज्यपाल से आग्रह किया है कि वे मुख्यमंत्री को राज्य विधानसभा के सदस्यों को डराने-धमकाने से बचने की सलाह दें। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान असंतुष्टों ने संकेत दिया था कि वे बीरेन सिंह के खिलाफ वोट करेंगे।