भारतीय सियासत में तमाम ऐसे सियासतदान हैं, जिनको विरासत में सियासत मिली है। लेकिन उनके से बहुत कम ऐसे नाम हैं, जिन्होंने विरासत में मिली सियासत को सही तरीके से संभाला और जनता के दिलों में अपने लिए जगह बनाने में भी कामयाब रहे। ऐसे ही एक नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन हैं। आज यानी की 01 मार्च को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन अपना 72वां जन्मदिन मना रहे हैं। स्टालिन ने न सिर्फ अपने पिता से राजनीति सीखि बल्कि उनकी विरासत को संभाला और राज्य की सत्ता के शिखर पर भी जा बैठे। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर एम के स्टालिन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म
चेन्नई में 01 मार्च 1953 को एम के स्टालिन का जन्म हुआ था। वह तमिलनाडु के पूर्व सीएम डीएमके के दिग्गज नेता एम. करुणानिधि के बेटे हैं। स्टालिन की छवि शुरू से ही ‘दबंग’ रही है। वर्तमान समय में स्टालिन डीएमके पार्टी में वही होता है। एम के स्टालिन को सियासत पिता से विरासत में जरूर मिली, लेकिन उन्होंने कड़ी मेहनत की और सीएम की कुर्सी पर सुशोभित हैं।
राजनीति का ककहरा
महज 14 साल की उम्र में एम के स्टालिन ने अपने पिता करुणानिधि से राजनीति का ककहरा सीखना शुरूकर दिया था। जिसका असर साफतौर पर झलकता है। साल 1967 में स्टालिन ने चुनावों के दौरान पहली बार अपनी पार्टी के लिए प्रचार किया। उन्होंने अपने पिता की पार्टी के लिए कड़ी मेहनत की और साल 1973 में स्टालिन को डीएमके की जनरल कमेटी का हिस्सा बनाया गया। वहीं इस दौरान उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी और मद्रास यूनिवर्सिटी के प्रेसीडेंसी कॉलेज से इतिहास में स्नातक की डिग्री हासिल की।
क्यों रखा स्टालिन नाम
बता दें कि रूस के तानाशाह जोसेफ स्टालिन की 05 मार्च 1953 को मृत्यु हुई थी। वहीं इससे ठीक 4 दिन पहले 01 मार्च को करुणानिधि के घर बच्चे का जन्म हुआ था। जिसका अभी तक नामकरण नहीं हुआ था। ऐसे में जब करुणानिधि को पता चला के रूस के तानाशाह ‘स्टालिन जोसेफ’ की मृत्यु हो गई है, तो उन्होंने अपने बच्चे का नाम एमके स्टालिन रखा। स्टालिन का अर्थ ‘लौह पुरुष’ होता है।
राजनीतिक सफर
साल 1975 में युवा नेता मीसा आंदोलन में गिरफ्तार हुईं और उनके साथ जेल में बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया। जेल जाने से पहले जिस युवा नेता को उसके पिता के नाम से जाना जाता था, लेकिन जेल से बाहर आने के बाद वह पूरे राज्य में अपने नाम से जाना जाने लगा। लोग इस युवा नेता का सम्मान करने लगे और वह लोगों के हीरो बन गए। यह युवा नेता और कोई नहीं बल्कि एमके स्टालिन था। जेल से बाहर आने के बाद उनको जीवन में कभी पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी। कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन एमके स्टालिन हमेशा लोगों के बीच रहे। साल 2018 में करुणानिधि की मृत्यु के बाद स्टालिन डीएमके के अध्यक्ष बनें और वर्तमान समय में सीएम पद पर विराजमान हैं।
सियासी पटखनी देने में माहिर हैं स्टालिन
साल 1984 में स्टालिन ने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा और इस दौरान उनको हार का सामना करना पड़ा। जिसके बाद स्टालिन ने साल 1989, 1996, 2001 और 2006 के विधानसभा चुनाव इसी विधानसभा क्षेत्र से जीते। फिर साल 2011 और 2016 में स्टालिन ने कोलाथुर विधानसभा से चुनाव लड़ा और दोनों बार जीत हासिल की। फिर साल 1996 से 2000 तक वह चेन्नई के मेयर भी रहे।
तमिलनाडु के पहले डिप्टी सीएम और सीएम
एमके स्टालिन तमिलनाडु के इतिहास के एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिन्होंने डिप्टी सीएम का पद संभाला। वहीं साल 2009 में जब वह डिप्टी सीएम बने, तो उनके चाहने वालों में खुशी की लहर दौड़ गई। 29 मई 2009 से 15 मई 2011 तक तमिलनाडु के पहले डिप्टी सीएम के पद पर रहे। साल 2021 में स्टालिन ने पार्टी को बहुमत दिलाया और वह राज्य के 8वें सीएम बनें।