प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर मॉरीशस पहुँचे। इस दौरान प्रधानमंत्री का पारम्परिक अंदाज में स्वागत किया गया। बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय के लोग प्रधानमंत्री के होटल के बाहर भी एकत्रित हुए ताकि अपने प्रिय नेता की एक झलक पा सकें और उनसे मुलाकात कर सकें। हम आपको बता दें कि प्रधानमंत्री अपनी यात्रा के दौरान द्वीपीय देश के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे और देश के शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक करेंगे। भारतीय सशस्त्र बलों की एक टुकड़ी, भारतीय नौसेना का एक युद्धपोत और भारतीय वायु सेना की आकाश गंगा ‘स्काईडाइविंग टीम’ (मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस) समारोह में भाग लेगी।
मोदी की यह यात्रा मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम के निमंत्रण पर हो रही है। यात्रा के दौरान दोनों देश दक्षता विकास, व्यापार और सीमा पार वित्तीय अपराधों से निपटने के क्षेत्रों में सहयोग के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे। मोदी मॉरीशस के राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे, प्रधानमंत्री के साथ बैठक करेंगे तथा द्वीपीय राष्ट्र के वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों और राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ भी बैठक करेंगे। वह भारतीय समुदाय के सदस्यों के साथ भी बातचीत करेंगे तथा सिविल सेवा कॉलेज और क्षेत्रीय स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन करेंगे, जिनका निर्माण भारत की अनुदान सहायता से किया गया है। मोदी ने मॉरीशस रवाना होने से पहले जारी एक बयान में कहा, ‘‘मैं अपने ‘सागर विजन’ के तहत, अपने लोगों की प्रगति और समृद्धि के साथ-साथ हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और विकास के लिए अपनी स्थायी मित्रता को मजबूत करने तथा अपने सभी पहलुओं में अपनी साझेदारी को बढ़ाने के उद्देश्य से मॉरीशस नेतृत्व के साथ जुड़ने के अवसर की प्रतीक्षा में हूं।’’ हम आपको बता दें कि ‘सागर’ से आशय ‘सेक्युरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन’ (क्षेत्र में सबके लिये सुरक्षा और विकास) से है।
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मोदी ने कहा, ‘‘हिंद महासागर में मॉरीशस एक करीबी समुद्री पड़ोसी, एक प्रमुख साझेदार और अफ्रीकी महाद्वीप का प्रवेश द्वार है। हम इतिहास, भूगोल और संस्कृति से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘गहरा आपसी विश्वास, लोकतंत्र के मूल्यों में साझा विश्वास और अपनी विविधता पर गर्व हमारी ताकत है।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के लोगों के बीच घनिष्ठ एवं ऐतिहासिक संबंध साझा गौरव का स्रोत है। हम आपको यह भी बता दें कि मोदी ने आखिरी बार 2015 में मॉरीशस का दौरा किया था।
हम आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज से शुरू हुई अपनी दो दिवसीय मॉरीशस यात्रा के दौरान 20 से अधिक भारत-प्रायोजित परियोजनाओं का उद्घाटन करेंगे। प्रधानमंत्री इस दौरान दक्षिण-पूर्व अफ्रीकी द्वीप राष्ट्र में लोकतंत्र को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से कुछ प्रमुख बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं की भी घोषणा करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी मॉरिशस के प्रधानमंत्री नवीन रामगुलाम के साथ मिलकर सिविल सर्विसेज कॉलेज भवन का संयुक्त रूप से उद्घाटन करेंगे। इस भवन का निर्माण लगभग 475 लाख अमेरिकी डॉलर की लागत से पूरा हुआ है। इस परियोजना के लिए वर्ष 2017 में एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए थे।
मोदी क्षेत्रीय स्वास्थ्य केंद्र (एरिया हेल्थ सेंटर) और 20 सामुदायिक परियोजनाओं का भी ई-उद्घाटन करेंगे जिन्हें लगभग सात करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया गया है। इन परियोजनाओं में खेल अवसंरचना से जुड़ी सुविधाएं भी शामिल हैं। भारत के मॉरीशस में उच्चायुक्त अनुराग श्रीवास्तव ने बताया है कि हम सामुदायिक विकास परियोजनाओं को लागू कर रहे हैं जो जमीनी स्तर पर तेजी से पूरी की जा रही हैं। इनमें कुछ परियोजनाएं खेल क्षेत्र से भी जुड़ी हैं जैसे कि फुटबॉल मैदान और अन्य खेल सुविधाएं है। यह परियोजनाएं मॉरीशस के विभिन्न हिस्सों में स्थापित की गई हैं।
हम आपको बता दें कि मॉरीशस के विदेश एवं व्यापार मंत्री धनंजय रामफुल ने कहा है कि मॉरीशस भारत के साथ दोहरा कराधान अपवंचन संधि (डीटीएसी) सहित अपने व्यापार समझौते में संशोधन के लिए दबाव बना रहा है। पोर्ट लुईस स्थित अपने कार्यालय में रामफुल ने व्यापक आर्थिक सहयोग और भागीदारी समझौते (सीईसीपीए) पर फिर से विचार करने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि मॉरीशस की स्थिति फिर से पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में बहाल हो सके। वर्ष 2016 में संधि में संशोधन के बाद से द्वीप राष्ट्र से भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह में तेजी से गिरावट आई है। उन्होंने कहा, ”डीटीएसी में संशोधन पर अभी भी चर्चा की जा रही है। मुझे लगता है कि दो मुद्दों को सुलझाया जाना चाहिए। मुझे जो बताया गया है, उसके अनुसार एक बार यह मामला सुलझ जाए, तो प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए जाएंगें।” मंत्री ने बताया कि संयुक्त समिति का दूसरा सत्र शीघ्र ही आयोजित किया जाएगा, जिसमें सीईसीपीए और डीटीएसी दोनों पर पुनर्विचार किया जाएगा और इसका उद्देश्य व्यापार असंतुलन और कराधान संबंधी मुद्दों का समाधान करना है।