मणिपुर में हालात अब तेजी से सामान्य हो रहे हैं और पहले की तरह लोगों की दिनचर्या हो चुकी है जोकि एक अच्छी खबर है। सरकार हालात को देखकर संतुष्ट तो है लेकिन सतर्क भी है। इसीलिए मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने दावा किया है कि राज्य में जातीय मुद्दों पर बहुत अधिक राजनीति ने लोगों को भ्रमित कर दिया है और आंतरिक संघर्ष पैदा कर दिया है। इसके साथ ही उन्होंने दावा किया कि सियासी नेताओं के एक वर्ग ने उन लोगों के साथ हाथ मिला लिया है जो राज्य को तोड़ना चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने थौबल जिले के खांगाबोक में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कई लोग अब भी राज्य के मौजूदा मुद्दों को नहीं समझ पा रहे हैं जिसकी वजह से मेईती और कुकी समुदाय हिंसा की चपेट में है और मई 2023 से अबतक 250 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हुए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का विरोध मणिपुर में नए प्रवासियों के खिलाफ है, जो मादक पदार्थ संबंधी गतिविधियों में संलिप्त हैं, न कि उन लोगों के खिलाफ जो पहले से यहां आकर बस गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा कर्तव्य यह समझना और महसूस करना है कि असली विरोधी कौन हैं और किसने हम पर हमले किए हैं। हमें उनसे खुद का बचाव करना होगा। हालांकि, बहुत अधिक राजनीति ने लोगों को भ्रमित कर दिया है और आंतरिक संघर्ष पैदा कर दिया है। यहां तक कि कुछ नेता भी मणिपुर को तोड़ने की चाहत रखने वालों के साथ मिल गए हैं।’’ मुख्यमंत्री ने हालांकि, किसी नेता या राजनीतिक दल का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा, ‘‘जो लोग मणिपुर को तोड़ना चाहते हैं, उन्होंने हमें भड़काने के लिए एजेंटों का इस्तेमाल किया है। ऐसे एजेंट इंफाल घाटी में हैं और मणिपुर को तोड़ने वालों का साथ दे रहे हैं। हमें उनसे सावधान रहना होगा।’’ मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मणिपुर को बचाया जाएगा और इसे टूटने नहीं दिया जाएगा।
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जहां तक राज्य सरकार और सुरक्षा बलों की ओर से शांति की दिशा में उठाये जा रहे अन्य कदमों की बात है तो आपको बता दें कि मणिपुर में 4.8 हेक्टेयर भूभाग में फैली अवैध अफीम की खेती को नष्ट कर दिया गया है। मुख्यमंत्री ने खुद इस बात की जानकारी देते हुए कहा, “मादक पदार्थ के खिलाफ हमारी लड़ाई में मिली एक महत्वपूर्ण सफलता के रूप में सेनापति पुलिस, वन विभाग और जिला प्रशासन ने साझा अभियान चलाकर सेनापति के कांगजांग हिल्स में 4.8 हेक्टेयर भूभाग में फैली अवैध अफीम की खेती को नष्ट कर दिया है।” उन्होंने कहा, “मैं टीमों के समर्पण और प्रयासों की सराहना करता हूं। मादक पदार्थ के खिलाफ लड़ाई सिर्फ कानून प्रवर्तन का प्रयास नहीं है, बल्कि एक सामूहिक जिम्मेदारी है। मैं सभी नागरिकों से आग्रह करता हूं कि वे नशा मुक्त, स्वस्थ और अधिक समृद्ध मणिपुर के निर्माण में हमारे साथ खड़े हों।”
इसके अलावा, राज्य के चुराचांदपुर जिले में तलाशी अभियान के दौरान सुरक्षाबलों ने छह रॉकेट जब्त किए हैं। पुलिस के मुताबिक हेंगलेप पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत लोइलमकोट और नालोन क्षेत्र से सुरक्षाबलों ने मंगलवार को छह रॉकेट, एक लांचर, एक देशी मोर्टार (पोम्पी), एक-एक 7.62 एमएम स्नाइपर राउंड और स्नाइपर मैगजीन तथा अन्य सामान जब्त किया। इसके अलावा, पुलिस ने बताया कि प्रतिबंधित कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी (केसीपी)-पीडब्ल्यूजी के दो कार्यकर्ताओं को मंगलवार को इंफाल पूर्वी जिले के मोरोक इनखोल गांव से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया कि वे कथित तौर पर इंफाल के विभिन्न इलाकों में आम जनता, सरकारी अधिकारियों और दुकानों से जबरन वसूली में शामिल थे। उनके कब्जे से नौ एमएम की एक पिस्तौल, मैगजीन के साथ नौ एमएम के सात कारतूस जब्त किए गए हैं।
इसके अलावा, सुरक्षा बलों ने प्रतिबंधित संगठनों से जुड़े सात अन्य लोगों को भी मणिपुर के विभिन्न स्थानों से गिरफ्तार किया है। पुलिस ने एक बयान में बताया कि प्रतिबंधित कांगलेई यावोल कन्ना लूप (केवाईकेएल) के तीन सदस्यों और ‘यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट-कोइरेंग’ (यूएनएलएफ-के) के एक सक्रिय सदस्य को मंगलवार को तेंगनौपाल जिले में भारत-म्यांमा सीमा क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने प्रतिबंधित ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ के दो सदस्यों को बुधवार को गिरफ्तार किया। उन्हें इंफाल के पाओना बाजार क्षेत्र में जबरन वसूली की गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। पुलिस के अनुसार, उनके पास से हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया है।
इसके अलावा, मणिपुर सरकार ने गृह विभाग के तहत एक जबरन वसूली रोधी प्रकोष्ठ का गठन किया है। मुख्य सचिव प्रशांत कुमार सिंह की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस पहल का उद्देश्य जबरन वसूली से जुड़ी गतिविधियों से निपटने और जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक कुशल व मजबूत प्रतिक्रिया तंत्र बनाना है। इस प्रकोष्ठ में राज्य पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, असम राइफल्स और सेना के प्रतिनिधि शामिल होंगे। बयान में कहा गया है, “खबरों से पता चला है कि सरकारी अधिकारियों समेत विभिन्न व्यक्तियों को अवैध संगठनों द्वारा कॉल, संदेश या पत्रों के माध्यम से धमकी दी गई है कि यदि जबरन वसूली की मांग पूरी नहीं की गई तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। ये गतिविधियां राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति के लिए एक बड़ा खतरा पैदा करती हैं।” सरकार ने लोगों से इन गैरकानूनी गतिविधियों से निपटने में सहयोग करने और धमकी या जबरन वसूली की किसी भी घटना की सूचना टोल-फ्री नंबर 1800 202 3326 के माध्यम से नए प्रकोष्ठ को देने का आग्रह किया है।
बहरहाल, सरकारी प्रयासों से इतर मणिपुर की जनता को समझना होगा कि राज्य की “रक्षा व सुरक्षा” हर किसी का कर्तव्य है। यह भी एक तथ्य है कि भले ही राज्य मई 2023 से संघर्ष देख रहा हो, लेकिन निर्वाचित विधायकों व अधिकारियों की मदद से विकास कार्य लगातार जारी है।