Thursday, November 20, 2025
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Waqf Act को लेकर कम नहीं हो रही सियासत, किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर जमकर साधा निशाना

वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर सियासत तेज है। विपक्ष सरकार पर सवाल खड़े कर रहा है। इसी बीच केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत एक बड़ा देश है और इस देश की एक-एक इंच ज़मीन का सही इस्तेमाल होना चाहिए। इसमें कोई विवाद नहीं होना चाहिए। दुनिया में सबसे ज़्यादा ज़मीन वक्फ संपत्ति के तौर पर भारत में है। 9 लाख 72 हज़ार से ज़्यादा वक्फ संपत्तियां भारत में हैं लेकिन इसका इस्तेमाल गरीब मुसलमानों के लिए नहीं हो रहा है। इसका दुरुपयोग, संपत्ति पर कब्ज़ा करके इसकी लूट, चिंता का विषय है। इसलिए जब हमने भूमि विधेयक में संशोधन किया तो हमारे दो मुख्य उद्देश्य थे – गरीब मुसलमानों को फ़ायदा पहुंचाना और संपत्ति की लूट और दुरुपयोग को रोकना।
 

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रिजिजू ने कहा कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में जो हालत उन्होंने पैदा की है। मुख्यमंत्री, कांग्रेस और उनकी पार्टी के सहयोगी, जो भी कहते हैं कि वे संसद द्वारा बनाए गए कानून को नहीं मानेंगे, वे देश के संविधान को नहीं मानते। हम 2014 में पहली बार मंत्री बने, हमने अपना सारा जीवन विपक्ष में बैठकर काम किया है, हमने कभी नहीं कहा कि हम संसद के कानून को नहीं मानेंगे। उन्होंने कहा कि ये लोग जो काम कर रहे हैं उससे देश को बहुत नुकसान होने वाला है और उन्हें इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए, मुसलमानों में भी अब एक बड़ा वर्ग आकर प्रधानमंत्री मोदी का शुक्रिया अदा कर रहा है। हमें ये नहीं कहना चाहिए कि सारे मुसलमान विरोध कर रहे हैं। इस समय आम मुसलमान वक्फ संशोधन कानून का समर्थन कर रहा है और इसका स्वागत कर रहा है।
 

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केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कई नेता कह रहे हैं कि यह विधेयक संविधान के अनुसार नहीं है और संसद को इसे पारित करने का अधिकार नहीं है। तो मैं उन सभी से पूछना चाहता हूं कि 1954 में किस संसद ने वक्फ संशोधन विधेयक लाया और पारित किया। फिर 1995 में वक्फ संशोधन विधेयक एक अधिनियम बन गया। उस अधिनियम में संशोधन हुए। तो किस संसद ने ऐसा किया और किस प्रावधान के तहत? मेघवाल ने आगे कहा कि फिर 2013 में भी ऐसा ही किया गया। अब जब पीएम मोदी इसे लेकर आए हैं तो वे सवाल उठा रहे हैं। 2025 में पारित विधेयक संविधान के अनुसार किया गया है और संसद को इसे पारित करने का अधिकार है। 
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