चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (AAP) के गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा। चुनाव से पहले जहां AAP के 13 और कांग्रेस के 6 पार्षदों के समर्थन से गठबंधन की जीत लगभग तय मानी जा रही थी, वहीं नतीजे ने सबको चौंका दिया। भाजपा ने 16 पार्षदों के बावजूद 19 वोट हासिल कर जीत दर्ज की, जबकि AAP की उम्मीदवार प्रेमलता को सिर्फ 16 वोट मिले। साफ है कि तीन पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग कर दी, जिससे गठबंधन को हार झेलनी पड़ी।
AAP का कांग्रेस पर विश्वासघात का आरोप
AAP इस हार से भड़क गई है, खासतौर पर इस बात को लेकर कि मेयर भाजपा का चुना गया, लेकिन सीनियर डिप्टी मेयर कांग्रेस का बन गया। पार्टी का आरोप है कि कांग्रेस ने दगाबाजी की और भाजपा से अंदरूनी गठजोड़ कर लिया।
पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने भाजपा और कांग्रेस पर गुप्त समझौते का आरोप लगाते हुए कहा,
“हमने अपनी जिम्मेदारी निभाई, इसलिए कांग्रेस का डिप्टी मेयर चुना गया। लेकिन हमारे मेयर उम्मीदवार को हरा दिया गया, क्योंकि कांग्रेस ने धोखा दिया और भाजपा से हाथ मिला लिया। कांग्रेस के ही तीन पार्षदों ने भाजपा को वोट दिया, जिससे उसे 19 वोट मिल गए।”
AAP बोली—भाजपा-कांग्रेस एक ही हैं
AAP प्रवक्ता नील गर्ग ने भी कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि,
“भाजपा और कांग्रेस एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। कांग्रेस के पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग कर नतीजा बदल दिया। दोनों ही दल आम आदमी पार्टी के उभार से डर गए हैं, इसलिए गुपचुप मिलकर हमें रोकने की कोशिश कर रहे हैं।”
नतीजे से हैरान AAP, कांग्रेस पर हमलावर
इस चुनाव का समीकरण हैरान करने वाला रहा, क्योंकि सुबह से ही AAP और कांग्रेस अपने पार्षदों को एकजुट रखने का दावा कर रही थीं। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी भी वोटिंग के लिए पहुंचे थे, लेकिन अंत में नतीजा AAP के खिलाफ गया।
गौरतलब है कि बीते साल से मेयर रहे कुलदीप कुमार पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी और वे अग्रिम जमानत लेकर वोट डालने पहुंचे थे। AAP एक-एक वोट का जुगाड़ कर रही थी, लेकिन अब नतीजों ने उसे करारा झटका दिया है। पार्टी कांग्रेस पर गुस्से में है और इसे खुलेआम ‘विश्वासघात’ करार दे रही है।
अब देखना यह होगा कि क्या आम आदमी पार्टी इस हार से सबक लेकर कोई नई रणनीति बनाती है या फिर यह विवाद और गहराता है।