Monday, October 6, 2025
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अपनों ने ही खोल दिया पाकिस्तान का भेद, पूर्व राजदूत ने जिहादी समूहों के साथ इस्लामाबाद के संबंधों पर किया बड़ा खुलासा

पूर्व पाकिस्तानी राजनयिक हुसैन हक्कानी, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में राजदूत के रूप में काम कर चुके हैं, ने इस्लामाबाद से पहलगाम जैसे हमलों से बचने के लिए जिहादी समूहों को बंद करने के लिए कहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी ढांचे को नष्ट करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर शुरू करने के बाद भारत और पाकिस्तान पूर्ण युद्ध के कगार पर आ गए थे। हक्कानी ने पाकिस्तानी शासन से सवाल पूछा कि देश को लश्कर, सिपाह, जैश और उनकी दिफा-ए-वतन परिषद की आवश्यकता क्यों है? एक्स पर एक पोस्ट में अमेरिका में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत ने लिखापहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने भारत और पाकिस्तान को पूर्ण युद्ध के कगार पर पहुंचा दिया है।

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भविष्य में ऐसा न हो, इसके लिए जिहादी समूहों को बंद करना जरूरी है। अच्छी तरह से सुसज्जित सशस्त्र बलों के साथ, देश को लश्कर, सिपाह, जैश और उनकी दिफा-ए-वतन परिषद की क्या जरूरत है? उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान में आतंकी संगठनों की मौजूदगी दक्षिण एशिया और पूरी दुनिया के लिए गंभीर खतरा है। इसके अलावा, पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति संपन्न देश है, जिसके परमाणु हथियारों की सुरक्षा को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान के हाथों में परमाणु हथियारों की सुरक्षा पर सवाल उठाया था और कहा था कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की निगरानी में रखा जाना चाहिए।

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उन्होंने मांग की कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) की निगरानी में रखा जाना चाहिए। भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए एक जघन्य आतंकवादी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। ऑपरेशन सिंदूर 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी शिविरों के खिलाफ भारत का आक्रामक अभियान था। भारतीय सशस्त्र बलों ने 7 मई की सुबह आतंकी ढाँचे पर सटीक हमले किए, जिसके बाद पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने का प्रयास किया।
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