Monday, October 6, 2025
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HD Deve Gowda Birthday: दो दलों की तकरार के बीच एचडी देवगौड़ा को मिली थी सत्ता की चाभी, ऐसा रहा राजनीतिक सफर

दक्षिण भारत के बड़े नेताओं में गिने जाने वाले नेता एचडी देवगौड़ा आज यानी की 18 मई को अपना 92वां जन्मदिन मना रहे हैं। वह देश के 11वें प्रधानमंत्री भी रहे हैं। अपने राजनीतिक अनुभव और निचले तबके के लोगों को उनकी पहुंच ने लोगों की समस्याओं से निपटने में मदद की। बता दें कि देवगौड़ा ने छात्र नेता के रूप में स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था। वहीं राजनीति में प्रवेश करने से पहले एचडी देवगौड़ा ने एक ठेकेदार के रूप में काम किया था। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर एचडी देवगौड़ा के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म और परिवार
कर्नाटक के हरदन गल्ली ग्राम हासन के ताकुमा 18 मई 1933 को एचडी देवगौड़ा का जन्म हुआ था। इनके पिता का नाम डोड्डे गौड़ा व माता का नाम देवम्मा था। वहीं शुरूआती शिक्षा प्राप्त करने के लिए उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया। वहीं 20 साल की उम्र में उन्होंने सक्रिय राजनीति में उन्होंने हिस्सा लेना शुरूकर दिया था।
राजनीतिक सफर
साल 1953 में देवगौड़ा कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। वह साल 1962 तक इसी पार्टी के सदस्य रहे। साल 1962 में वह कर्नाटक विधानसभा के सदस्य बन गए। वहीं साल 1972 से मार्च 1976 तक और नवंबर 1976 से दिसंबर 1977 तक उन्होंने विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में अच्छी खासी प्राप्त की। वहीं साल 1991 में वह हासन लोकसभा से सांसद के रूप में चुने गए। साल 1994 में वह जनता की जीत के सूत्रधार रहे। वहीं जनता दल के नेता चुने जाने के बाद एचडी देवगौड़ा 11 दिसंबर 1994 को कर्नाटक के 14वें मुख्यमंत्री बने।
बता दें कि साल 1975 और 1976 में आपातकाल के दौरान एचडी देवगौड़ा को जेल में बंद रहना पड़ा था। वहीं साल 1991 में जब वह हासन लोकसभा क्षेत्र से सांसद के रूप में चुने गए। इस दौरान उन्होंने राज्य की समस्याओं का और विशेष रूप से किसानों की समस्याओं के निवारण में अहम भूमिका निभाई थी।
देश के 11वें प्रधानमंत्री
एचडी देवगौड़ा सीधे मुख्यमंत्री से प्रधानमंत्री के पद पर पहुंच गए थे। वहीं 31 मई 1996 को अटलीजी की सरकार अल्पमत में आ गए। जिसके कारण उनको प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था। वहीं 01 जून 1996 को तत्काल में 24 दलों वाले संयुक्त मोर्चे का गठन कांग्रेस के समर्थन से किया गया। वहीं उनको संयुक्त मोर्चे का नेता घोषित किया गया और वह देश के 11वें प्रधानमंत्री बन गए। हालांकि कांग्रेस की नीतियों के अनुकूल न चल पाने की वजह से एचडी देवगौड़ा को अप्रैल 1997 में पीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा।
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