तृणमूल कांग्रेस के सांसद यूसुफ पठान ने केंद्र सरकार के उस डेलिगेशन में शामिल होने से इंकार कर दिया है जो पाकिस्तान की पोल खोलने के लिए अलग अलग देशों में भेजा जाना था। आतंक की फैक्ट्री पाकिस्तान की असलियत को दुनिया में उजागर करने के लिए केंद्र सरकार अब पॉलिटिकल डिप्लोमेटिक स्ट्राइक कर रही है।
इसी दिशा में सरकार ने पाकिस्तान की असलियत दुनिया के सामने लाने के लिए अलग अलग देशों में संसदीय दल को भेजने का ऐलान किया है। इस संसदीय दल में पश्चिम बंगाल में सत्तादल तृणमूल कांग्रेस के सांसद व पूर्व भारतीय क्रिकेटर यूसुफ पठान को शामिल किया गया था।
हालांकि सूत्रों के हवाले से खबर है कि तृणमूल कांग्रेस के सांसद यूसुफ पठान इस पहल में भाग नहीं लेंगे। इसकी जानकारी युसूफ पठान ने भारत सरकार को दी है। उन्होंने बताया कि वो इस दौरे के लिए उपलब्ध नहीं है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, सरकार ने तृणमूल कांग्रेस से सलाह लिए बिना ही उनका नाम शामिल कर लिया, जबकि सरकार ने सीधे सांसद से संपर्क किया था। क्रिकेटर से राजनेता बने पूर्व सांसद ने बताया कि वह प्रतिनिधिमंडल में शामिल होने के लिए उपलब्ध नहीं होंगे।
सूत्रों ने बताया कि ममता बनर्जी की पार्टी ने अपना निर्णय इस दृष्टिकोण पर आधारित किया है कि विदेश नीति केंद्र के अधिकार क्षेत्र में आती है और केंद्र सरकार को इसकी पूरी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। “हमारा मानना है कि राष्ट्र सर्वोपरि है, और हम अपने महान राष्ट्र की रक्षा के लिए आवश्यक कार्रवाई करने हेतु केंद्र सरकार को अपना समर्थन देने का वचन देते हैं।” हमारे सशस्त्र बलों ने हमारे राष्ट्र को गौरवान्वित किया है और हम सदैव उनके ऋणी रहेंगे।
विदेश नीति पूरी तरह से केन्द्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। इसलिए, केंद्र सरकार को ही हमारी विदेश नीति तय करने दीजिए। इसकी पूरी जिम्मेदारी केंद्र सरकार को लेनी चाहिए।” ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में आतंकवाद से निपटने के भारत के संकल्प को सामने रखने के लिए विश्व की राजधानियों की यात्रा करने वाले सात प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों के रूप में 51 राजनीतिक नेताओं, सांसदों और पूर्व मंत्रियों को नामित किया गया है।