सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्य प्रदेश के मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता विजय शाह को भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किए गए ऑपरेशन सिंदूर के मद्देनजर भारतीय सेना की अधिकारी सोफिया कुरैशी पर उनकी विवादास्पद टिप्पणी के लिए फिर से फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने शाह की इस अरुचिकर टिप्पणी के लिए मांगी गई माफ़ी को भी खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि मंत्री ने ईमानदारी से माफ़ी नहीं मांगी। वह माफ़ी कहाँ है? न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि वह माफ़ी क्या है? आपने किस तरह की माफ़ी मांगी है? इसके बाद कोर्ट ने मामले की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी ) बनाने के आदेश दिए। इसमें तीन आईपीएस अधिकारी होंगे, जिनमें एक आईजी और बाकी दो एसपी लेवल के अफसर होंगे। इनमें एक अधिकारी महिला होना अनिवार्य होगा। सभी अफसर मध्य प्रदेश कैडर के हो सकते हैं, लेकिन राज्य के मूल निवासी नहीं होने चाहिए। एसआईटी 28 मई तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेगी।
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जस्टिस सूर्यकांत ने काह कि माफ़ी का कोई मतलब होता है! कभी-कभी लोग कार्यवाही से बचने के लिए विनम्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं! और कभी-कभी वे मगरमच्छ के आंसू बहाते हैं! आपकी माफ़ी किस तरह की है? पिछले हफ़्ते शाह ने कर्नल कुरैशी को “आतंकवादियों की बहन” कहा था। इस पर लोगों में आक्रोश फैल गया। 15 मई को भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने कहा एक संवैधानिक पद पर रहते हुए, आपको कुछ हद तक संयम बरतना चाहिए था, खासकर तब जब देश ऐसी स्थिति से गुजर रहा हो।
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मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के 14 मई के आदेश को चुनौती देते हुए विजय शाह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उच्च न्यायालय ने उनके विवादास्पद बयान पर स्वतः संज्ञान लेते हुए बुधवार को पुलिस को मंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया। शाह के वकील द्वारा आज सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए याचिका का उल्लेख किए जाने की उम्मीद है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद बुधवार को शाह के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 152, 196(1)(बी) और 197(1)(सी) के तहत एफआईआर दर्ज की गई। हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने खुद ही पहल करते हुए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को तत्काल एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था।