वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद पर भारत की स्थिति से अवगत कराने के कूटनीतिक प्रयास के तहत कई देशों में सर्वदलीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल भेजने के केंद्र के कदम का स्वागत किया। आनंद शर्मा शशि थरूर के बाद दूसरे कांग्रेस नेता हैं, जिन्होंने इस पहल की प्रशंसा की है, जबकि देश की सबसे पुरानी पार्टी ने इसे एक ध्यान भटकाने वाली रणनीति के रूप में आलोचना की है।
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हालांकि, पार्टी ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के तहत चार दिवसीय सैन्य कार्रवाई के तुरंत बाद एनडीए सरकार का समर्थन किया था। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए आनंद शर्मा ने इस कूटनीतिक संपर्क को आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान की भूमिका के बारे में वैश्विक जनमत को संवेदनशील बनाने के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण पहल बताया। आनंद शर्मा सांसदों की उस टीम का हिस्सा हैं जो आने वाले दिनों में दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, कतर और इथियोपिया की यात्रा करेगी।
जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों को निशाना बनाकर किए गए हमले के बाद सरकार की कार्रवाई को अपनी पार्टी के समर्थन को याद करते हुए शर्मा ने प्रकाशन से कहा, “भारत को बहुत नुकसान हुआ है। हमने भारी कीमत चुकाई है। हमने अपनी प्रतिक्रियाओं में संयम बरता है। बहुत कम देश संयम बरत सकते थे… अब समय आ गया था कि जवाबी कार्रवाई की जाए, लेकिन यह नपी-तुली, सोची-समझी कार्रवाई थी, जिसे भारत ने स्पष्ट कर दिया है।” वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने बताया कि कैसे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के बाद इसी तरह का कूटनीतिक प्रयास शुरू किया था। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के लिए पूर्व प्रधानमंत्रियों राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव द्वारा किए गए विभिन्न दलों के प्रयासों को भी याद किया।
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दूसरी ओर कांग्रेस ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ताजा बयान को लेकर बृहस्पतिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘‘चुप्पी’’ साधने के बजाय संसद का विशेष सत्र बुलाकर सदन के पटल पर स्पष्टीकरण देना चाहिए तथा सभी दलों के नेताओं से भी बातचीत करनी चाहिए। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी किया कि सांसदों के प्रतिनिधिमंडलों को विभिन्न देशों के दौरे पर भेजना ‘दिखावे की निरर्थक कवायद’ है और फिलहाल यह जरूरी है कि पहलगाम हमले और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को रोके जाने से जुड़े सवालों का सरकार जवाब दे तथा संसद से एक सामूहिक संकल्प दुनिया के सामने रखा जाए।