अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम को लेकर डोनाल्ड ट्रंप के दावों को खारिज करते हुए कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति “हर चीज़ का श्रेय लेना पसंद करते हैं।” ट्रंप के पहले कार्यकाल में अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे जॉन बोल्टन ने कहा, “अमेरिकी राष्ट्रपति जो दावे कर रहे हैं उसमें भारत के खिलाफ कुछ व्यक्तिगत नहीं है। दरअसल डोनाल्ड ट्रंप हर चीज़ का श्रेय लेना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप शायद सुर्खियाँ बटोरना चाह रहे थे। उन्होंने कहा कि यह चिढ़ाने वाला हो सकता है और संभवतः बहुत से लोगों को चिढ़ाता भी है, लेकिन यह भारत के खिलाफ कुछ नहीं है, यह सिर्फ ट्रंप का स्वभाव है।
हम आपको बता दें कि जॉन बोल्टन का यह बयान तब आया है जब ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर भारत और पाकिस्तान के बीच पूर्ण और तात्कालिक संघर्षविराम की घोषणा करते हुए दावा किया था कि अमेरिका ने प्रमुख मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। ट्रंप ने लिखा था कि अमेरिका द्वारा लंबी रात की वार्ताओं के बाद दोनों देशों ने सामान्य समझ और महान बुद्धिमत्ता दिखाई, जिसके लिए उन्हें बधाई। ट्रंप के इस बयान के बाद से भारत की राजनीति में तूफान आया हुआ है क्योंकि विपक्ष बार-बार यही सवाल कर रहा है कि जब भारत और पाकिस्तान के बीच हर मुद्दा द्विपक्षीय है तब भारत सरकार ने किसी तीसरे देश की मध्यस्थता क्यों स्वीकार की। हालांकि भारत सरकार विभिन्न स्तरों पर स्पष्टीकरण देते हुए कह चुकी है कि संघर्षविराम का फैसला आपसी सहमति से हुआ था।
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वहीं ऑपरेशन सिंदूर को लेकर अमेरिका के पूर्व एनएसए जॉन बोल्टन ने कहा, “भारत को निश्चित रूप से पाकिस्तान के अंदर उन स्थानों के खिलाफ आत्मरक्षा के तहत कार्य करने का अधिकार था, जहां से आतंकवादी हमले की योजना बनाई गई और उसे अंजाम दिया गया।” उन्होंने पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा और परमाणु सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई, जो भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की इस्लामाबाद के परमाणु शस्त्रागार को लेकर चेतावनी की प्रतिध्वनि थी। उन्होंने कहा कि हम कभी नहीं कह सकते कि हमारे पास इस पर पूरा नियंत्रण है, परमाणु हथियारों के गलत हाथों में पड़ने का खतरा बना रहता है।” साथ ही, बोल्टन ने पाकिस्तान में चीनी और तुर्की सैन्य भागीदारी के बढ़ते प्रभाव पर भी चिंता जताई, जिसे उन्होंने भारत की पश्चिमी सीमा के लिए खतरा बताया।
जॉन बोल्टन ने भारत की ओर से विदेशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने के फैसले का भी स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के बारे में दुनिया को शिक्षित करने का यह अच्छा तरीका है। उन्होंने कहा कि निर्दोष नागरिकों को आतंकवादी हमलों में नुकसान पहुँचना अस्वीकार्य है। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि भारत ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ जैसे आतंकी संगठनों को संयुक्त राष्ट्र से प्रतिबंधित करवाने का जो प्रयास कर रहा है वह काफी महत्वपूर्ण है।
इस बीच, राष्ट्रपति ट्रंप के दावों पर अमेरिका का आधिकारिक रुख भी थोड़ा अलग हुआ है और अब उसने कहा है कि यह ‘उत्साहजनक’ है कि उसके ‘हस्तक्षेप’ के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच ‘‘लगभग पूर्ण पैमाने पर युद्ध छिड़ने’’ से रुक गया। हम आपको बता दें कि जहां राष्ट्रपति मध्यस्थता शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं वहीं उनके प्रशासन ने हस्तक्षेप शब्द का प्रयोग किया है। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने संवाददताओं से कहा, ”भारत और पाकिस्तान के बीच दिक्कतों के साथ उस क्षेत्र में हिंसा और आतंकवाद के बारे में पीढ़ीगत चिंता रही है। वहां संघर्षविराम पर सहमति बनी है।’’ ब्रूस ने कहा, ”हम जानते हैं कि पूर्ण पैमाने पर युद्ध छिड़ने के पूरे आसार थे और जो बात बहुत उत्साहजनक है वह यह है कि अमेरिका के सहयोग से इसे रोका गया और संघर्षविराम कराया गया जो जारी है। लेकिन निश्चित रूप से जैसा कि विश्व ने फिर देखा कि इसका समाधान नहीं हुआ है। इन दीर्घकालिक समस्याओं के समाधान की संभावना वापस आ गई है।’’ उन्होंने अमेरिका और भारत के बीच संबंधों और भारत के खिलाफ पाकिस्तान में पनपते आतंकवाद पर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में यह बात कही। ब्रूस ने कहा, ‘‘अच्छी खबर यह है कि कुछ अन्य क्षेत्रों के विपरीत संघर्षविराम के लिए प्रतिबद्धता रही है।’’
हम आपको एक बार फिर बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बार-बार दावा किया है कि उनके प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान के बीच ‘‘संघर्ष विराम’’ की मध्यस्थता की है। हालांकि भारत सरकार के सूत्रों ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशकों के बीच सैन्य कार्रवाइयों को तत्काल प्रभाव से रोकने की सहमति बनी थी। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि इसमें कोई तीसरा पक्ष शामिल नहीं था।