पाकिस्तान के खिलाफ भारत का ऑपरेशन अभी खत्म नहीं हुआ है। भारत अब एक और बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। सूत्रों के अनुसार भारत पाकिस्तान को दोबारा एफएटीएफ की ‘ग्रे लिस्ट’ में शामिल करने की मांग कर सकता है। भारत की तरफ से ग्लोबल बॉडी की अगली मीटिंग के दौरान पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डलवाने के लिए फाइनेंशियल एक्शन टॉस्क फोर्स के संपर्क में है। यह कदम उस स्थिति में उठाया जा रहा है जहां भारत को संदेह है कि पाकिस्तान आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर प्रभावी कार्रवाई करने में विफल रहा है। एफएटीएफ कई देशों पर मनी लांड्रिंग और टेरर फंडिंग पर नजर रख उसे लिए नियम बनाता है। आतंकवादी वित्तपोषण जैसे खतरों से निपटना और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिये अन्य कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देना है।
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एफएटीएफ ग्रे और ब्लैक लिस्ट जारी करता है। ग्रे लिस्ट में उन देशों को रखा जाता है जो मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के मामलों की तरफ बढ़ रहा हो। इस लिस्ट में नाम करके एक तरह से इन देशों को चेतावनी दी जाती है कि वो समय रहते अपनी स्थिति को काबू कर लें। वहीं किसी भी देश का एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट में शामिल होने का अर्थ होता है कि उस देश को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं द्वारा वित्तीय सहायता मिलनी बंद हो जाएगी।
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पाकिस्तान को जून 2018 में ‘ग्रे लिस्ट’ में डाला गया था। अक्टूबर 2022 में उसे इस लिस्ट से बाहर निकाला गया। जब पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ से हटाया गया था, तब भारत ने कहा था कि पाकिस्तान ने कुछ जाने-माने आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया गया था। इनमें 26/11 के मुंबई हमलों में शामिल आतंकी भी शामिल थे।