पहलगाम में बेगुनाह पर्यटकों को धर्म पूछकर मारने वाले दरिदों को भारत ने जो जवाब दिया है। उसकी गूंज एलओसी के पार ही नहीं। यूरोप की सरजमीं तक सुनाई दे रही है। विदेश मंत्री एस जयशंकर इन दिनों यूरोप के दौरे पर हैं। नीदरलैंड की मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने साफ कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो सीजफायर हुआ वो भारत के दम पर हुआ। भारत की शर्तों पर हुआ और इसमें अमेरिका की कोई भूमिका नहीं है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूरोप की आलोचना करते हुए कहा कि यूरोप पाकिस्तान में सैन्य शासन को लंबे समय से समर्थन दे रहा है, जबकि पाकिस्तान में सीमा पार से आक्रामकता और लोकतांत्रिक अस्थिरता का रिकॉर्ड रहा है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 1947 में आजादी के बाद से ही पाकिस्तान द्वारा कश्मीर में हमारी सीमाओं का उल्लंघन किया जा रहा है। उसके बाद के आठ दशकों में हमने क्या देखा है? वह विशाल, लोकतांत्रिक यूरोप, आपके अपने शब्दों में कहें तो, इस क्षेत्र में सैन्य तानाशाही के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहा है।
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एस जयशंकर ने कहा कि हम लगातार 8 दशक से इस समस्या का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आप जिस सच्चाई को देखकर अब जागे हैं, उसके बारे में हम बहुत दिनों से जानते हैं और उसका सामना कर रहे हैं। हमारे पास दो कठिन पड़ोसी हैं- चीन और पाकिस्तान। हमारे लिए पाकिस्तान की तरफ से आतंकवाद वाली परेशानी हमेशा रही है। इसलिए हमने इस कठिन दुनिया में चुनौती को पूरी मजबूती के साथ झेला है।
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जयशंकर ने पश्चिमी देशों, खास तौर पर यूरोपीय शक्तियों की पाकिस्तान के सैन्य शासकों के साथ ऐतिहासिक गठबंधन के लिए आलोचना करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। किसी ने भी सैन्य शासन का समर्थन नहीं किया है। पाकिस्तान में लोकतंत्र को इतने तरीकों से कमजोर नहीं किया है – जितना कि पश्चिम ने किया है। भारत ने सीमापार आतंकवाद और नागरिक लोकतंत्र के दमन में पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान की भूमिका को लगातार उजागर किया है।
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अमेरिका को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि भारत और पाकिस्तान की तरफ से द्विपक्षीय स्तर पर युद्धविराम का फैसला किया गया था। इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कोई भूमिका नहीं है। आगे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुनिया को दो टूक बता दिया कि पाकिस्तान को मासूम दिखाने का नाटक बंद किया जाए। इंटरव्यू के दौरान उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंकवाद पर अब भारत की नीति साफ है कि अब सहना नहीं है और जवाब देना है। पाकिस्तान आतंक से कनेक्टेड नहीं है, ये कहकर दुनिया को बहकाने की जो कोशिश इस्लामाबाद करता रहा है। भारत ने उस पर सीधा हमला किया है।
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