चीन ने शुक्रवार को हार्वर्ड विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों के नामांकन पर रोक लगाने के डोनाल्ड ट्रम्प के फैसले की आलोचना करते हुए इसे शिक्षा का राजनीतिकरण करार दिया। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि चीनी पक्ष ने शैक्षिक सहयोग के राजनीतिकरण का लगातार विरोध किया है। अमेरिकी पक्ष की ओर से की गई कार्रवाई से केवल संयुक्त राज्य अमेरिका की छवि और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचेगा। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि बीजिंग अपने विदेशी छात्रों और विद्वानों के वैध अधिकारों और हितों की रक्षा करेगा।
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अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की सरकार ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का विदेशी छात्रों को दाखिला देने का अधिकार तुरंत प्रभाव से रद्द कर दिया है। यह फैसला ट्रंप प्रशासन और हार्वर्ड के बीच बढ़ते टकराव के बीच लिया गया है। होमलैंड सिक्योरिटी सचिव क्रिस्टी नोएम ने एक पत्र में लिखा कि अब से हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का स्टूडेंट इंडेक्स चेंज विजिटर प्रोग्राम सर्टिफिकेशन SEVIS रद्द किया जाता है। SEVIS वही सिस्टम है जिसके जरिए विदेशी छात्रों को अमेरिका में पढ़ने की अनुमति दी जाती है। यह फैसला हजारों अंतरराष्ट्रीय छात्रों के भविष्य पर असर डाल सकता है। हार्वर्ड अब विदेशी छात्रों को एडमिशन नहीं दे सकता। वर्तमान में पढ़ रहे अंतरराष्ट्रीय छात्रों को दूसरी जगह पढ़ने के लिए ट्रांसफर लेना होगा या उनकी कानूनी स्थिति खतरे में पड़ जाएगी।
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राष्ट्रीय सुरक्षा और कैंपस में आपत्तिजनक गतिविधियों के आधर पर ट्रंप प्रशासन की तरफ से हार्वर्ड का अंतरराष्ट्रीय छात्रों को नामांकन देने का अधिकार छीन लिया गया है। यानी कुल मिलाकर यहां विदेशी छात्र नहीं पढ़ सकेंगे। ट्रंप प्रशासन के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने इस फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि हार्वर्ड को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से कथित सहयोग, कैंपस में हिंसा, यहूदी विरोधी भावना और आतंकवाद समर्थक गतिविधियों के लिए जवाबदेह ठहराया जा रहा है। विभाग का दावा है कि हॉर्वर्ड ने अमेरिका विरोधी आतंवाद समर्थक तत्वों को बढ़ावा देकर कैंपस को असुरक्षित बनाया है, जिसमें कई यहूदी छात्रों पर हमले भी शामिल हैं।