Sunday, October 5, 2025
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Vishwakhabram: Pahalgam और Washington की आतंकी घटनाएं एक समान हैं, आतंकवाद में भेद करना दुनिया को महँगा पड़ेगा

पहलगाम आतंकी हमले की वीभत्सता और इस हमले की साजिश को रचने वाले लोगों की कुत्सित मानसिकता जिन लोगों को अब तक समझ नहीं आई है उन्हें वाशिंगटन डीसी में इजराइली नागरिकों की निर्मम हत्या को ताजा उदाहरण के रूप में देखना चाहिए। पहलगाम में आतंकवादियों ने हिंदुओं को मारा। वाशिंगटन डीसी में आतंकी ने यहूदियों को मारा। यानि दोनों जगह धर्म के आधार पर हत्या हुई। इसी तरह की घटनाएँ कुछ और देशों में हाल फिलहाल देखने को मिली हैं। ज्यादातर घटनाओं में यह भी देखा गया है कि आतंकवादियों का कहीं ना कहीं पाकिस्तान कनेक्शन जरूर होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि पाकिस्तान के आतंक को दुनिया दो तरह से क्यों देखती है? यदि पाकिस्तानी आतंकवादी भारत पर हमला करें तो दुनिया को सांप सूंघ जाता है और यदि पाकिस्तानी आतंकवादी विश्व के किसी और हिस्से में हमला करें तो दुनियाभर के नेताओं का गुस्सा फूट पड़ता है। देखा जाये तो दुनिया को यह समझना होगा कि अच्छा आतंकवाद या बुरा आतंकवाद अवधारणा रखना गलत है। आतंकवाद का समूल नाश तभी हो सकता है जब इसे मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन मानते हुए एकजुटता के साथ इस पर प्रहार किया जाये।
वैसे इसमें कोई दो राय नहीं कि आतंकवाद को लेकर दुनिया का वाकई दोहरा चरित्र है। इस समय भारत के सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल दुनिया के 33 देशों में जाकर पाकिस्तानी आतंकवाद की कलई खोलने और आत्मरक्षा के अपने अधिकार के बारे में बताने में जुटे हैं। यहां सवाल उठता है कि पाकिस्तानी आतंकवाद के बारे में दुनिया को जागरूक करने की कवायद हमें क्यों करनी पड़ रही है? पाकिस्तान में घुस कर ओसामा बिन लादेन को मारने वाला अमेरिका क्या जानता नहीं है कि उस देश में कितने आतंकवादी हैं और वह कहां रहते हैं? अमेरिका में तो मीडिया से लेकर तमाम सरकारी विभाग और थिंक टैंक तक अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के बारे में जो रिपोर्टें प्रस्तुत करते हैं उसमें अक्सर यह बताया जाता है कि पाकिस्तान क्षेत्रीय और वैश्विक आतंकवाद का केंद्र बना हुआ है और भारत के खिलाफ आतंकी साजिश हो रही है। क्या इन रिपोर्टों पर अमेरिकी सरकार की या अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों की नजर नहीं जाती? यही नहीं, संयुक्त राष्ट्र ने जिन नामों को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित कर रखा है उसमें से 99 प्रतिशत पाकिस्तान के हैं। इसलिए सवाल उठता है कि जब हर देश संयुक्त राष्ट्र का सदस्य है तो क्या वह जानते नहीं हैं कि यह 99 प्रतिशत आतंकवादी कहां रहते हैं? यहां सवाल यह भी उठता है कि जब हर देश का खुफिया विभाग यह भी देखता है कि दुनिया में क्या चल रहा है तो क्या वह अपनी सरकार को यह नहीं बताते कि पाकिस्तान आतंकवाद को प्रायोजित करता है, उसे शरण देता है और उसका निर्यात करता है। दुनिया के तमाम देशों में क्या यह नहीं देखा जाता कि पाकिस्तानी सरकार और सेना से जुड़े लोग अक्सर यह स्वीकारते रहे हैं कि आतंकवाद वहां की सरकारी नीति रही है?

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देखा जाये तो पहलगाम में आतंकी हमले की निंदा तो दुनिया ने की थी लेकिन पाकिस्तान को हल्की-सी डपट लगाने में भी सबने संकोच किया था। दुनिया को पता होना चाहिए कि आज भारत पर हमला हुआ है कल को किसी और की भी बारी हो सकती है क्योंकि पाकिस्तान में पैदा हो रहे आतंकी दुनियाभर में निर्यात किये जाते हैं। दुनिया को समझना होगा कि पाकिस्तान ऐसे लोगों की संख्या बढ़ा रहा है जोकि अति धार्मिक हो जाने की स्थिति में या फिर किसी खास विचारधारा से प्रभावित होकर लोगों की जान लेने पर उतारू हो जाते हैं। हंसते खेलते लोगों को मौत की नींद सुलाने का यह जो आतंकी खेल चल रहा है इसको दुनियाभर में फैलने से पहले ही रोकना जरूरी है।
जहां तक वॉशिंगटन डीसी के उच्च-सुरक्षा क्षेत्र में हुई घटना की बात है तो आपको बता दें कि एलियास रोड्रिगेज़ ने दो युवा इजराइली राजनयिकों को गोली मारने के बाद दावा किया कि उसने यह सब “ग़ाज़ा के लिए” किया है। जब पुलिस उसे ले जा रही थी, तब वह “फ्री, फ्री पैलेस्टाइन!” के नारे लगा रहा था। देखा जाये तो रोड्रिगेज़ ने इस हमले को अंजाम देकर ग़ाज़ा के उन लोगों की बहुत बड़ी क्षति कर दी है जो अक्टूबर 2023 से हमास और इजराइल के बीच फंसे हुए हैं। इसी प्रकार कश्मीरियों के लिए लड़ने का दावा करने वाले आतंकवादियों ने पहलगाम में आतंकी वारदात को अंजाम देकर सिर्फ 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या नहीं की बल्कि पर्यटन आधारित जम्मू-कश्मीर के लोगों की आजीविका को भी बहुत बड़ी क्षति पहुँचाई है। देखा जाये तो आतंकवादियों का यह सोचना एकदम गलत है कि किसी को गोली मारकर कोई मकसद हासिल हो जायेगा। ना तो यहूदियों को मार कर गाजा आजाद हुआ ना ही पर्यटकों को मार कर आतंकवादियों को कश्मीर में कुछ मिला।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में जितना दोहरा रुख पश्चिमी देशों खासकर अमेरिका का रहा है उतना किसी और का नहीं है। 9/11 के हमले का बदला लेने के लिए उसने पूरे अफगानिस्तान को उजाड़ दिया और पाकिस्तान में घुस कर ओसामा बिन लादेन को ठोंक दिया लेकिन जब भारत पर कोई आतंकी हमला होता है तो वह संयम बरतने की अपील करता है। हाल का ही उदाहरण देखें तो 2019 में पुलवामा की घटना के बाद व्हाइट हाउस ने पाकिस्तान से अपने क्षेत्र में सभी आतंकवादी समूहों को दी जा रही सहायता और सुरक्षित पनाहगाहों को तुरंत समाप्त करने की अपील की थी। लेकिन 2022 में बाइडन प्रशासन ने पाकिस्तान के साथ 450 मिलियन डॉलर का F-16 लड़ाकू विमान सौदा कर लिया था। उस समय के अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा था कि यह सौदा पाकिस्तान की क्षमता को बढ़ायेगा और वह अपने या क्षेत्र से उत्पन्न आतंकवादी खतरों से निपट सकेगा। यही नहीं, 2023 में ब्रिटेन ने यूक्रेन के लिए 2 लाख रॉकेट का ऑर्डर पाकिस्तान को देकर एक आतंकवाद-प्रायोजक राष्ट्र के रक्षा उद्योग को बढ़ावा दिया था। चीन तो खैर पाकिस्तान का पूरा साथ दे ही रहा है। 
बहरहाल, समझाना हमारा काम है इसलिए दुनिया को समझा रहे हैं कि आतंकवाद को दो चश्मों से नहीं देखें। यह भी अच्छी बात है कि दुनिया इस बात को समझने का दावा भी कर रही है। प्रतिनिधिमंडलों के दौरे के दौरान एक चीज और स्पष्ट हो रही है कि भारत को पाकिस्तानी आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक स्तर पर ऐसा अभियान लगातार चलाते रहने की जरूरत है।
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