भारत ने वो कर दिखाया है, जिसकी ट्रंप शासन वाले अमेरिका को तो कतई उम्मीद नहीं थी। अब भारत ृचुप नहीं बैठेगा बल्कि सीधा जवाब देगा और वो भी डब्लूटीओ के मंच से ये जवाब मिलेगा। 500 प्रतिशत टैरिफ और 26 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी अब ये भार उल्टा अमेरिका पर ही गिरेगा। दरअसल, अभी कुछ ही हफ्ते पहले अमेरिका ने भारत पर भारी टैरिफ थोपने की धमकी दी। 500 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी लगाने की बात खुलेआम की गई। खासकर उन प्रोडक्ट्स पर जो भारत से अमेरिका को एक्सपोर्ट किए जाते है। इसके पीछे अमेरिका की एक चाल थी। रूस से भारत का सस्ता क्रूड ऑयल खरीदना बंद करवाना। भारत को दो ऑप्शन दिए गए। रूस से सस्ता तेल खरीदो या 500 प्रतिशत टैरिफ झेलो। अमेरिका को लगा कि भारत घुटनों पर आ जाएगा। लेकिन इस बार मामला कुछ और ही था। भारत ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के नेतृत्व में अमेरिका को दो टूक जवाब दिया कि न तो हम रूस से तेल खरीदना बंद करेंगे और न ही आपकी ब्लैकमेलिंग के आगे झुकेंगे।
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हुआ भी कुछ ऐसा ही। भारत की ट्रेड डेलीगेशन जो अमेरिका में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की बातचीत करने गई थी। उसे वापस बुला लिया गया। यानी भारत ने साफ बता दिया कि हम झुकने वालों में नहीं बल्कि जवाब देने वालों में हैं। अब भारत वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइडेशन अमेरिका के खिलाफ केस लेकर पहुंच गया है। मामला 3 मई को अमेरिका द्वारा लगाए गए 26 प्रतिशत के इंपोर्ट टैरिफ का है। ये भारत के ऑटोमोबाइल प्रोजेक्ट और कंपोनेंट पर लगा है। अमेरिका ने डब्ल्यूटीओ को बिना सूचना दिए सेफगार्ड मेजर का बहाना बनाकर टैरिफ ठोक दिया। जबकि नियम ये कहता है कि पहले उस देश से बातचीत हो। उचित प्रमाण हो। डब्ल्यूटीओ को इसकी सूचना दी जाए। अमेरिका ने भारत से कोई चर्चा नहीं की और यही भारत ने पकड़ लिया।
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भारत सरकार ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को अमेरिका पर लगभग 724 मिलियन डॉलर का जवाबी टैरिफ लगाने के अपने प्रस्ताव की सूचना दी है, जो कि भारत से विशेष ऑटोमोबाइल और उसके पुर्जों के आयात पर अमेरिका द्वारा बढ़ाए गए टैरिफ के जवाब में है। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब भारत और अमेरिका एक प्रारंभिक लघु-व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के अंतिम चरण में हैं। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय में विशेष सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में भारत की वार्ता टीम सोमवार को अमेरिका से भारत लौटी। 3 जुलाई को डब्ल्यूटीओ को भेजे गए एक संदेश में भारत ने कहा कि भले ही अमेरिका के उपायों को डब्ल्यूटीओ को अधिसूचित नहीं किया गया है, लेकिन वे मूलतः सुरक्षा उपाय हैं। इसमें यह भी कहा गया कि इस मामले पर भारत की स्थिति यह है कि अमेरिकी टैरिफ टैरिफ और व्यापार पर सामान्य समझौते 1994, डब्ल्यूटीओ के मूल समझौते और सुरक्षा उपायों पर समझौते (एओएस) के अनुसार नहीं हैं।
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भारत ने अपने जवाब में कहा कि चूंकि अनुच्छेद 12.3, एओएस के तहत प्रदान किए गए परामर्श नहीं हुए हैं, इसलिए भारत अनुच्छेद 8, एओएस के तहत रियायतों या अन्य दायित्वों को निलंबित करने का अधिकार सुरक्षित रखता है जो भारत के व्यापार पर उपाय के प्रतिकूल प्रभावों के बराबर हैं।