तुर्किये की कंपनी सेलेबी को एयरपोर्ट की सुरक्षा मंजूरी रद्द किए जाने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली। कोर्ट ने ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (BCAS) के फैसले को बरकरार रखा। कोर्ट ने कहा कि BCAS को राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में एयरपोर्ट संचालन के लिए आदेश/निर्देश जारी करने का खासतौर पर अधिकार है। अदालत ने आगे कहा कि जासूसी और/या रसद क्षमताओं के दोहरे उपयोग की संभावना को समाप्त करना आवश्यक है और वो भी बाहरी संघर्ष जैसी स्थिति में जो देश की सुरक्षा के लिए अत्यधिक हानिकारक होगा।
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केंद्र ने अपने नागरिक उड्डयन मंत्रालय के माध्यम से 15 मई को फर्म को दी गई सुरक्षा मंजूरी को “राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया था। भारत-पाकिस्तान संघर्ष में पाकिस्तान को तुर्की के समर्थन पर भारत में हुई तीखी प्रतिक्रिया के बाद तुर्की स्थित कंपनी के खिलाफ यह फैसला आया था। दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले का सीधा असर कंपनी और उसकी सहायक कंपनियों द्वारा दायर अन्य मुकदमों पर पड़ेगा, जिसमें कंपनी ने मद्रास उच्च न्यायालय, बॉम्बे उच्च न्यायालय और गुजरात उच्च न्यायालय में उन हवाई अड्डों द्वारा अपने अनुबंधों को रद्द करने को चुनौती दी है, जहां वह सेवाएं दे रही थी। सुरक्षा मंजूरी निरस्तीकरण मुद्दे पर अब तक लंबित निर्णय के मद्देनजर इन तीनों उच्च न्यायालयों में याचिकाओं को अंतिम निपटान के लिए लंबित रखा गया था।
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हवाईअड्डा संचालकों के साथ मेरे अनुबंध रद्द किए जा रहे हैं। हालांकि, रोहतगी ने अपनी दलीलें कानूनी आधारों और सरकार के फैसले में प्रक्रियात्मक खामियों तक ही सीमित रखीं। विमानन सुरक्षा विनियमों के विकास का हवाला देते हुए रोहतगी ने तर्क दिया कि पहले के उदाहरणों की तुलना में कानूनी ढांचे में काफी बदलाव आया है। “न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ के फैसले में 1937 के विमान नियमों पर विचार किया गया था, जो अब लागू नहीं हैं। 2011 में नए नियम बनाए गए थे और वर्तमान स्थिति नियम 12 द्वारा शासित है।