भारत और अमेरिका के बीच इस वक्त व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है। इस बातचीत का अंजाम किसके पक्ष में जाएगा और क्या तय होगा। इस बात का पता तो आने वाले वक्त में चल ही जाएगा। लेकिन फिलहाल इस व्यापार समझौते को लेकर कशमकश की स्थिति स्टील और अल्यूम्यूनियम में तो खत्म हो चुकी है। भारत पहले ही कह चुका है कि स्टील और अल्युम्यूनियम पर अगर अमेरिका टैरिफ लगाता है तो भारत जवाबी कार्रवाई करेगा और भारत भी जवाबी टैरिफ लगाएगा। भारत ने फिर एक बार इस बात को दोहराया है। व्यापार समझौते पर चल रही बातचीत के बीच भारत ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन के सामने ये स्पष्ट किया है कि अगर अमेरिका अगर भारत पर स्टील और अल्यूम्यूनियम पर टैरिफ लगाता है तो भारत भी जवाबी टैरिफ लगाएगा।
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मतलब अमेरिका के खिलाफ भारत का स्टैंड बिल्कुल क्लीयर है। अमेरिका अगर टैरिफ लगाएगा तो भारत भी पीछे नहीं हटने वाला है। भारत का ये कदम स्टील और अल्युम्यूनियम पर अमेरिकी शुल्कों के जवाब में है, जिन्हेें सुरक्षा उपायों के तौर पर लगाया गया था। वो भी ऐसे वक्त में जब दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है। ये समय बहुत अहम है। दोनों देश एक व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। कोशिश कर रहे हैं कि कोई बीच का रास्ता निकाला जाए। लेकिन स्टील और अल्युम्यूनियम पर बात बन नहीं रही है। मामला वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन तक पहुंच चुका है।
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स्टील और अल्युम्यूनियम पर टैरिफ लगाने के बाद भारत लगातार अपनी लड़ाई लड़ रहा है। कह रहा है कि अमेरिका की तरफ से जो स्टील और अल्यूम्यूनियम पर 10 और 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया है वो गलत है। भारत भी अब अमेरिका पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगा सकता है। अमेरिका ने पहली बार 12 मार्च को एल्युमीनियम, स्टील और व्युत्पन्न वस्तुओं के आयात पर 25% टैरिफ लगाया था। 3 जून को, करों को बढ़ाकर 50% कर दिया गया। WTO ने एक पत्र में कहा कि वस्तु व्यापार परिषद और सुरक्षा समिति को 12 मई को दी गई अपनी पूर्व अधिसूचना पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, भारत उत्पादों और टैरिफ दरों को समायोजित करने का अधिकार सुरक्षित रखता है। यह अनुरोध अमेरिका द्वारा टैरिफ दर को 25% यथामूल्य से बढ़ाकर 50% करने के जवाब में किया गया है। भारत के अनुरोध पर इसे WTO के सदस्यों के बीच प्रसारित किया गया।
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संचार में कहा गया है कि रियायतों या अन्य दायित्वों के प्रस्तावित निलंबन का रूप अमेरिका में उत्पादित चुनिंदा उत्पादों पर टैरिफ में वृद्धि के रूप में लिया जा सकता है। इसमें कहा गया है, सुरक्षा उपायों से भारत से आने वाले संबंधित उत्पादों का अमेरिका में 7.6 अरब डॉलर का आयात प्रभावित होगा, जिस पर शुल्क संग्रह 3.82 अरब डॉलर होगा। भारत द्वारा प्रस्तावित रियायतों के निलंबन के परिणामस्वरूप अमेरिका में उत्पादित उत्पादों पर भी उतनी ही राशि का शुल्क वसूला जाएगा।