महज़ दो हफ्तों में, जब से ईरान और इज़राइल के बीच संघर्ष अस्थायी रूप से थमा है, पाँच लाख से अधिक अफ़ग़ान नागरिक ईरान से वापस अफ़ग़ानिस्तान लौट चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र ने इसे हाल के वर्षों में सबसे बड़े जबरन जनसंख्या विस्थापनों में से एक बताया है। पश्चिमी अफ़ग़ानिस्तान के धूलभरे सीमा-शहर इस्लाम क़ला में हालात बेहद दर्दनाक हैं। यहाँ विस्थापितों की भीड़ टेंटों के नीचे सिमटी हुई है—छोटे-छोटे बच्चे जिन्हें अब तक यह समझ नहीं आया कि उनकी ज़िंदगी अचानक क्यों बदल गई, और उम्रदराज़ पुरुष जो धूप में झुलसे चेहरों के साथ खामोशी से आसमान की ओर देखते रहते हैं। यहाँ की गर्मी 40 डिग्री सेल्सियस (104°F) तक पहुँचती है, मगर पीड़ा का स्तर इससे कहीं अधिक गहरा है।
इस व्यापक पलायन के पीछे राजनीति, अविश्वास और पुरानी तनातनी का बेरहम मेल छिपा है। ईरान इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला बता रहा है, जबकि आलोचक इसे दक्षिण एशिया की सबसे कमजोर आबादियों में से एक के खिलाफ साजिशन सफ़ाया कह रहे हैं।
निष्कासन की शुरुआत
24 जून को, संघर्ष समाप्त होने के कुछ ही दिन बाद, तेहरान ने बड़े पैमाने पर निर्वासन की प्रक्रिया तेज़ कर दी। 9 जुलाई तक, अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) ने बताया कि 508,426 अफ़ग़ान नागरिक सीमा पार कर वापस अफ़ग़ानिस्तान में दाख़िल हो चुके हैं। केवल एक दिन में ही 51,000 लोगों को ईरान से बाहर निकाल दिया गया, जो 7 जुलाई की उस अंतिम तारीख से पहले का चरम था जब सभी गैरकानूनी प्रवासियों को देश छोड़ने का आदेश दिया गया था। ईरान पहले से ही यह संकेत दे रहा था कि वह अपने यहाँ ग़ैरदस्तावेज़ी अफ़ग़ानों की संख्या कम करना चाहता है—ये लोग अक्सर तेहरान, इस्फहान और मशहद जैसे शहरों में कम वेतन पर कठिन श्रम करते हैं।लेकिन इस बार की जबरन निकासी एक भयावह मोड़ पर पहुँची: बिना किसी ठोस प्रमाण के यह दावा किया गया कि अफ़ग़ान नागरिकों ने हालिया संघर्ष के दौरान इज़राइल के लिए जासूसी की।
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जासूसी के आरोप और सार्वजनिक संदेह
हालाँकि अब तक कोई पुख़्ता सबूत सामने नहीं आए हैं, लेकिन ईरानी राज्य मीडिया ने एक कथित अफ़ग़ान “जासूस” का वीडियो दिखाया जिसमें वह दावा करता है कि उसने जर्मनी में मौजूद एक व्यक्ति को $2,000 के बदले कुछ स्थानों की जानकारी दी। इस व्यक्ति की पहचान और आरोपों की पुष्टि नहीं हो सकी है, लेकिन इतना काफी था जनता में शक और डर का माहौल बनाने के लिए, जिसे मानवाधिकार समूह सामूहिक दंड की संज्ञा दे रहे हैं। ईरानी सरकार ने इस पर सफाई दी है। 1 जुलाई को, सरकार की प्रवक्ता फातेमेह मोहाजरानी ने कहा- “हम हमेशा अच्छे मेज़बान बनने की कोशिश करते हैं, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। स्वाभाविक रूप से, अवैध नागरिकों को लौटना ही होगा।”
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मानवीय कीमत
इन निर्वासनों की मानवीय कीमत बहुत भारी है। CNN की रिपोर्ट के अनुसार, IOM की मिशन प्रमुख मिह्युंग पार्क ने कहा कि इस साल जितने भी अफ़ग़ान नागरिक लौटे हैं, उनमें से आधे ने 1 जून के बाद वापसी की है—केवल जुलाई के एक ही हफ्ते में 2.5 लाख से अधिक लोग सीमा पार कर चुके हैं। इस जनसैलाब ने अफगान सीमावर्ती इलाकों में खाद्य, पानी, आश्रय और चिकित्सा जैसी मूलभूत सुविधाओं पर असहनीय दबाव डाल दिया है, जिससे यह मानवीय संकट और भी गंभीर होता जा रहा है।