ओडिशा के बालासोर जिले में आत्मदाह करने वाली छात्रा की मौत ने राज्य में महिलाओं की सुरक्षा और प्रशासनिक संवेदनहीनता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हम आपको बता दें कि बालासोर की यह छात्रा पिछले महीने कॉलेज में उत्पीड़न और मानसिक प्रताड़ना से त्रस्त होकर अपने ही शरीर पर केरोसिन डालकर आत्मदाह कर बैठी थी। उसे गंभीर हालत में भुवनेश्वर एम्स की बर्न यूनिट में भर्ती कराया गया था, लेकिन आज उसकी मौत हो गई। छात्रा के परिजनों का आरोप है कि कॉलेज प्रबंधन और स्थानीय पुलिस ने शुरू से ही मामले को दबाने की कोशिश की, जिस कारण समय रहते न्याय नहीं मिला।
हम आपको यह भी बता दें कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के मुताबिक, ओडिशा उन राज्यों में शामिल है जहां महिलाओं के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं। ओडिशा में बलात्कार, छेड़छाड़, यौन उत्पीड़न, दहेज हत्या, एसिड अटैक जैसे अपराधों में इजाफा दर्ज हुआ है। पिछले तीन वर्षों में ही ओडिशा में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले 20% से अधिक बढ़े हैं। इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि चाहे शहर हो या कस्बा, महिलाओं की सुरक्षा की स्थिति बेहद चिंताजनक है और कानून का डर अपराधियों के मन से लगभग खत्म हो गया है।
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हम आपको यह भी बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को एम्स भुवनेश्वर की ‘बर्न यूनिट’ का दौरा कर 20 वर्षीय कॉलेज छात्रा की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में जानकारी ली थी, जिसने एक प्रोफेसर द्वारा कथित यौन उत्पीड़न के बाद खुद को आग लगा ली थी। राष्ट्रपति की यह पहल बताती है कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोग इस घटना को लेकर कितने चिंतित हैं, लेकिन यह भी सच है कि राज्य सरकार और पुलिस-प्रशासन ने ऐसी कोई तत्परता नहीं दिखाई। अगर शुरुआत में ही मामले को गंभीरता से लिया जाता, छात्रा की शिकायतों को सुना जाता और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होती, तो शायद उसकी जान बचाई जा सकती थी।
राष्ट्रपति की ओर से एम्स की बर्न यूनिट में छात्रा का हाल जानने के लिए खुद जाने का प्रतीकात्मक महत्व बहुत बड़ा है। यह संदेश देता है कि देश की सर्वोच्च संवैधानिक संस्थाएं नागरिकों के दर्द को सुन रही हैं, भले ही स्थानीय शासन-प्रशासन संवेदनहीन बना रहे। यह पहल एक तरफ प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर करती है तो दूसरी ओर महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर केंद्र सरकार और राष्ट्रपति की गंभीरता भी दिखाती है।
इस बीच, राजनेताओं की ओर से छात्रा की मौत पर प्रतिक्रियाएं आना भी शुरू हो गयी हैं। मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कहा है कि मामले में सभी दोषियों को कानून के तहत कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी। मुख्यमंत्री माझी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘फकीर मोहन (स्वायत्त) महाविद्यालय की छात्रा की मृत्यु की खबर सुनकर बेहद दुखी हूं। सरकार द्वारा सभी जिम्मेदारियों को निभाने और विशेषज्ञ चिकित्सा दल के अथक प्रयासों के बावजूद, छात्रा को नहीं बचाया जा सका।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं छात्रा की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं और भगवान जगन्नाथ से उनके परिवार को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की कामना करता हूं। मैं छात्रा के परिवार को आश्वस्त करता हूं कि इस मामले में सभी दोषियों को कानून के अनुसार कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी। इसके लिए मैंने खुद अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं। सरकार परिवार के साथ है।’’ ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने मृतक छात्रा के परिवार को 20 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा भी की है।
वहीं, बीजद नेता इप्सिता साहू ने आरोप लगाया, ‘‘हम चाहते हैं कि छात्रा को न्याय मिले। सरकार ने अपनी नाकामी और असमर्थता को छिपाने के लिए रातों-रात शव का पोस्टमार्टम करवा दिया।’’ उन्होंने छात्रा को न्याय दिलाने में नाकाम रहने के लिए उच्च शिक्षा मंत्री सूरज सूर्यवंशी के इस्तीफे की भी मांग की।
दूसरी ओर, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने छात्रा की मौत के बाद आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ‘‘सिस्टम’’ ने इस लड़की की हत्या की है। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस विषय पर चुप्पी नहीं साधनी चाहिए, बल्कि जवाब देना चाहिए। राहुल गांधी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर आरोप लगाया, ‘‘ओडिशा में इंसाफ के लिए लड़ती एक बेटी की मौत, सीधे-सीधे भाजपा के सिस्टम द्वारा की गई हत्या है। उस बहादुर छात्रा ने यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठाई, लेकिन न्याय देने के बजाय उसे धमकाया गया, प्रताड़ित किया गया, बार-बार अपमानित किया गया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जिन्हें उसकी रक्षा करनी थी, वही उसे तोड़ते रहे। हर बार की तरह भाजपा का सिस्टम आरोपियों को बचाता रहा और एक मासूम बेटी को खुद को आग लगाने पर मजबूर कर दिया।’’ राहुल गांधी ने दावा किया कि ये आत्महत्या नहीं, ‘सिस्टम’ द्वारा संगठित हत्या है। उन्होंने कहा, ‘‘मोदी जी, ओडिशा हो या मणिपुर- देश की बेटियां जल रही हैं, टूट रही हैं, दम तोड़ रही हैं। और आप खामोश बने बैठे हैं।’’ राहुल गांधी ने कहा, ‘‘देश को आपकी चुप्पी नहीं, जवाब चाहिए। भारत की बेटियों को सुरक्षा और इंसाफ चाहिए।”
बहरहाल, देखा जाये तो बालासोर की छात्रा की मौत पूरे समाज और सिस्टम की विफलता की कहानी है। महिलाओं के खिलाफ अपराध पर रोक लगाने के लिए केवल कानून नहीं, बल्कि प्रशासनिक इच्छाशक्ति और सामाजिक जागरूकता जरूरी है। अगर समय रहते उत्पीड़न के मामलों को गंभीरता से लिया जाए, पुलिस अपनी भूमिका ईमानदारी से निभाए और अपराधियों को सख्त सजा मिले, तभी इस तरह के मामलों को रोका जा सकता है। वरना ओडिशा ही नहीं, देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसी दर्दनाक घटनाएं होती रहेंगी, और समाज बार-बार अपने ही जख्मों पर नमक छिड़कता रहेगा।