दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा ने सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर आंतरिक जाँच समिति के निष्कर्षों को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें कदाचार का दोषी पाया गया था। उन्होंने तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना द्वारा की गई महाभियोग की सिफारिश को भी चुनौती दी है और पूरे घटनाक्रम को एक साज़िश बताया है।
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आग लगने की घटना की जाँच शुरू
यह विवाद 14-15 मार्च की रात को शुरू हुआ, जब दिल्ली स्थित न्यायमूर्ति वर्मा के सरकारी आवास में आग लग गई। अग्निशमन अभियान के दौरान, आपातकालीन कर्मियों को घर के स्टोररूम में ₹500 के नोटों के जले हुए बंडल मिले, जिससे गंभीर संदेह पैदा हुआ। इसके जवाब में सर्वोच्च न्यायालय ने घटना की जाँच के लिए तीन न्यायाधीशों का एक आंतरिक जाँच पैनल गठित किया। पैनल ने न्यायाधीश को दोषी पाया।
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पैनल के निष्कर्ष निम्नलिखित पर आधारित थे-
55 गवाहों की गवाही
एक विस्तृत फोरेंसिक जाँच
अग्निशमन विभाग के कर्मियों के बयान