करोड़ों रुपये के कथित छत्तीसगढ़ शराब घोटाले की चल रही जाँच में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी उनके भिलाई-3 स्थित आवास पर तड़के हुई छापेमारी के तुरंत बाद हुई, जिससे राज्य के शराब व्यापार से जुड़ी ईडी की धन शोधन जाँच में एक बड़ी प्रगति हुई है। चैतन्य के जन्मदिन के अवसर पर हुई यह गिरफ्तारी एजेंसी को मिले नए सुरागों के बाद हुई है। एजेंसी 2019 से 2022 के बीच कांग्रेस के नेतृत्व वाले शासन के दौरान शराब की बिक्री और वितरण में हेराफेरी के माध्यम से जनता के पैसे की हेराफेरी में कथित रूप से शामिल सरकारी अधिकारियों, व्यापारियों और राजनीतिक हस्तियों के एक बड़े नेटवर्क की जाँच कर रही है।
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सुबह-सुबह छापा और पिछली कार्रवाई
सुबह करीब 6:00 बजे, सीआरपीएफ जवानों के साथ ईडी के अधिकारी तीन वाहनों में सवार होकर बघेल के आवास पर तलाशी लेने पहुँचे। यह छापा उस व्यापक जाँच का हिस्सा है जिसके तहत एजेंसी मार्च 2025 में दुर्ग जिले में 14 ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है, जिनमें बघेल और शराब कारोबारी लक्ष्मी नारायण बंसल (उर्फ पप्पू बंसल) से जुड़ी संपत्तियाँ भी शामिल हैं। उस कार्रवाई में नकदी ज़ब्त की गई थी और नोट गिनने वाली मशीनों का इस्तेमाल किया गया था, जो बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं की ओर इशारा करता है।
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शराब घोटाले से 2,161 करोड़ रुपये से ज़्यादा का नुकसान
ईडी के अनुसार, इस घोटाले से राज्य के खजाने को 2,161 करोड़ रुपये से ज़्यादा का नुकसान हुआ। कथित अवैध सिंडिकेट छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के माध्यम से संचालित होता था, शराब बनाने वालों से रिश्वत लेता था और बदले में उन्हें बाज़ार में हिस्सेदारी देता था। सरकारी दुकानों के माध्यम से देशी शराब की ऑफ-द-बुक बिक्री, विदेशी शराब व्यापार के लिए एफएल-10ए लाइसेंसों में हेराफेरी, तथा कार्टेल जैसी बाजार प्रथाओं का कथित तौर पर अपराध की भारी आय को सफेद करने के लिए उपयोग किया गया।