नई दिल्ली। राष्ट्रीय सेवा भारती और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के विशिष्ट आपदा शोध केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में “आपदा सन्नद्ध समाज निर्माण” विषय पर दो दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग का भव्य आयोजन जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कन्वेंशन सेंटर में प्रारंभ हुआ। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य समाज में आपदा प्रबंधन के प्रति जागरूकता, आत्मनिर्भरता एवं नेतृत्व निर्माण को प्रोत्साहित करना है।
कार्यक्रम का उद्घाटन लेफ्टिनेंट जनरल (से. नि.) सैयद अता हसनैन, सदस्य, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), ने दीप प्रज्ज्वलन एवं प्रेरणादायक वक्तव्य के साथ किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “समाज के हर नागरिक को आपदा के समय सजग और तैयार रहना चाहिए, और राष्ट्रीय सेवा भारती जैसी संस्थाएं इस दिशा में राष्ट्र के लिए अमूल्य योगदान दे रही हैं।”
मुख्य अतिथि श्री संजीव जिंदल, अतिरिक्त सचिव, गृह मंत्रालय (आपदा प्रबंधन), ने सरकार की आपदा तैयारी एवं नागरिक भागीदारी की रणनीतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है, और ऐसे प्रशिक्षण शिविर उस दिशा में बड़ा कदम हैं। देश की imd जैसी संस्थाएं आपदा की समय रहते जानकारी देने में सक्षम है। उन्होंने सचेत और दामिनी ऐप को सभी को इंस्टॉल और प्रयोग करने का आग्रह किया जिससे स्थानीय जगह पर बिजली गिरने, भारी बारिश और चक्रवात की पूर्व जानकारी मिल जाती है।”
कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री रमेश अग्रवाल, अध्यक्ष, सेवा भारती दिल्ली, ने की। उन्होंने सेवा भारती की कार्यप्रणाली और निःस्वार्थ सेवा की भावना को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय सेवा भारती एक शीर्ष समन्वय संस्था है जो देशभर में 800 से अधिक सेवा संगठनों के माध्यम से कार्य करती है। इसके अंतर्गत वर्तमान में 44,121 सेवा प्रकल्प संचालित हो रहे हैं। यह संगठन केवल नियमित सेवाकार्य ही नहीं, बल्कि आपदा के समय त्वरित राहत और पुनर्वास कार्यों में भी अग्रणी भूमिका निभाता है।
इस अवसर पर ‘राष्ट्रीय सेवा साधना: आपदा प्रबंधन’ विशेषांक का लोकार्पण भी किया गया, जिसमें देशभर में हो रहे आपदा प्रबंधन से जुड़े सेवाकार्यों, अनुभवों और नवीन प्रयोगों को साझा किया गया है।
प्रशिक्षण की प्रमुख झलकियाँ:
इस प्रशिक्षण वर्ग में देश के विभिन्न राज्यों से आए 80 शिक्षार्थियों ने भाग लिया। प्रशिक्षण की रूपरेखा में शामिल थे:
– आपदा की सामाजिक अवधारणा और स्थानीय संवेदनशीलता की पहचान
– मानव व्यवहार, तनाव और सदमा प्रबंधन
– दंगे, भगदड़ और आकस्मिक आपदाओं के समय सुरक्षा उपाय
– आपदा प्रबंधन टोलियों का गठन और नेतृत्व प्रशिक्षण
– व्यवहारिक अभ्यास और आपदा स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया
राष्ट्रीय सेवा भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री श्री सुधीर कुमार ने अपने संबोधन में बताया कि “आपदा प्रबंधन प्राचीन काल से भारतीय चेतना का विषय रहा है। चाणक्य ने अर्थशास्त्र में आपदा को 8 वर्गों में विभाजित किया है और प्रत्येक वर्ग के लिए राजा (प्रशासन) और प्रजा के कर्तव्यों और सभी तरह की तैयारियों का वर्णन है।”
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RSVP: प्रभाकर पाठक — 9818070440