रूस और यूक्रेन के बीच की जंग को तीन साल गुजर चुके हैं। लेकिन अभी भी शांति की बातें बेमानी लगने लगी है। भले ही खुद को दुनिया के सबसे पावरफुल शख्सियत समझने का भ्रम पालने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप गुजारिश के बाद धमकी देते नजर आ रहे हो। शांति वार्ता के लिए रोज नई नई डेडलाइन तय कर रहे हो। लेकिन रूस तो जैसे अमेरिका की हर धमकी को यूक्रेन पर बम बरसा धुएं में उड़ाता जा रहा है। जब बात इतने पर भी नहीं बनी तो ट्रंप की भाषा बोलने वाले नाटो चीफ की तरफ से रूस के सहयोगियों पर दबाव डालने की कोशिश भी की गई। जिसमें पश्चिमी देशों के निशाने पर भारत भी आ गया। भारत को भी डराने और रूस को समझौते के लिए मनाने का दबाव बयानबाजी के जरिए डाला गया। नाटो चीफ को विदेश मंत्रालय ने तगड़ा जवाब दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत की ऊर्जा जरूरतें सर्वोच्च प्राथमिकता हैं। विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कि हम किसी भी दोहरे मापदंड को लेकर सावधान हैं।
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तीन सालों में अगर भारत रूस के संबंधों पर नजर डालेंगे तो ये और भी मजबूत हुआ है। भारत और रूस के बीच व्यापारिक साझेदारी बड़े स्तर पर बढ़ी है। इसको लेकर पश्चिमी देश की बौखलाहट और भी बढ़ गई है। ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त की तरफ से नाटो को एक जोरदार जवाब मिला है। 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी देने वाले नाटो को भारत ने करारा जवाब एक बार फिर दिया है। ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त नारायम दोराई स्वामी ने एक इंटरव्यू में नाटो को जोरदार जवाब दिया है। विक्रम दोरईस्वामी ने रूस से भारत के तेल आयात की पश्चिमी देशों की आलोचना को खारिज कर दिया है और कहा है कि कोई देश अपनी अर्थव्यवस्था को बंद नहीं कर सकता। पिछले हफ़्ते ब्रिटिश रेडियो स्टेशन, टाइम्स रेडियो से बात करते हुए, उन्होंने कहा कि भारत के कई यूरोपीय साझेदार भी उन्हीं देशों से दुर्लभ मृदा और अन्य ऊर्जा उत्पाद खरीदना जारी रखे हुए हैं जिनसे वे हमें खरीदने से मना कर रहे हैं।
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दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक, भारत पारंपरिक रूप से मध्य पूर्व से तेल प्राप्त करता था, लेकिन जब रूस ने वैकल्पिक खरीदारों को आकर्षित करने के लिए भारी छूट देना शुरू किया, तो उसने बड़ी मात्रा में तेल का आयात शुरू कर दिया। मास्को ने यह कदम फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण को लेकर विभिन्न पश्चिमी देशों द्वारा प्रतिबंधों का सामना करने के बाद उठाया है। रूस और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ भारत की निकटता के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि नई दिल्ली के संबंध कई मानदंडों पर आधारित हैं। भारतीय उच्चायुक्त ने कहा कि इनमें से एक हमारा दीर्घकालिक सुरक्षा संबंध है, जो उस युग से चला आ रहा है जब हमारे कुछ पश्चिमी साझेदार हमें हथियार नहीं बेचते थे, बल्कि उन्हें हमारे पड़ोस के देशों को बेचते थे, जो उनका इस्तेमाल केवल हम पर हमला करने के लिए करते थे।
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दोहराईस्वामी ने स्पष्ट कहा है कि ये भारत और रूस के बीच का कोई नया रोमांस नहीं है। ये भारत की पुरानी दोस्ती है। जिस वक्त पश्चिमी देशों ने भारत को हथियार नहीं दिए थे तो उस वक्त रूस आगे आया था। भारत इस दोस्ती को कभी नहीं भूलेगा और इसी दोस्ती को आधार बनाकर दुनियाभर के देश जब भारत को खोखली धमकी देने की कोशिश करते हैं तो भारत फिर इसी तरह से जवाब देता है। चाहे वो फिर भारत के विदेश मंत्री हो या व्यापार मंत्री, भारत ने अपना पक्ष खुलकर और साफ रखा है।